Badaun News: बदायूं जिले की एक अदालत ने झूठी शान की खातिर हत्या के एक मामले में माता-पिता और उनके दो बेटों को फांसी की सजा सुनाई है. अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता (क्राइम) अनिल कुमार सिंह ने बताया कि 14 मई 2017 को थाना वजीरगंज क्षेत्र के उरैना गांव निवासी पप्पू सिंह ने गांव के रहने वाले विजय पाल, रामवीर (दोनों सगे भाई) किशनपाल और उसकी पत्नी जलधारा के खिलाफ मुकदमा लिखाया थ. इसमें चारों पर आरोप था कि उन्होंने प्रेम प्रसंग के चलते वादी के पुत्र गोविंद (24 वर्ष) व किशनलाल की पुत्री आशा (22 वर्ष) की कुल्हाड़ी से काटकर नृशंस हत्या कर दी थी.
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अनिल कुमार सिंह के अनुसार, हत्या से पूर्व गोविंद और आशा को शादी का झांसा देकर दिल्ली से वापस गांव बुलाया गया था. शादी की बातचीत करने के दौरान किशनलाल ने पीछे से अचानक गोविंद के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया. जब आशा उसको बचाने के लिए दौड़ी तो चारों ने मिलकर उसे भी कुल्हाड़ी से काट डाला और इस नृशंस घटना को अंजाम दिया.
बता दें कि पप्पू का बेटा गोविंद और किशनलाल की बेटी आशा दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे. परिवार जनों के मना करने के बावजूद भी उनका मिलना जुलना रहता था. जब परिवार का दबाव ज्यादा बढ़ा तो दोनों परिजनों के विरोध और डर के चलते घर से भागकर बे दिल्ली चले गए.
गौरतलब है कि हत्या के बाद परिजन जब शवों को फेंकने के लिएजा रहे थे तभी पड़ोसियों ने देख लिया और शोर मचाते हुए पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों के शवों को कब्जे में लिया. किशनलाल को हत्या में प्रयुक्त हुई कुल्हाड़ी के साथ उसी दिन जबकि बाकी तीन आरोपियों को पुलिस ने 2 दिन बाद गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में वजीरगंज थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेश कुमार कश्यप ने विवेचना के बाद एक ही परिवार के चारों लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी और आरोपियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य न्यायालय के समक्ष पेश किए थे.
वहीं, 5 वर्ष से दोनों पक्षों की ओर से जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में लगातार बहस भी चल रही थी. शुक्रवार देर रात जिला न्यायाधीश पंकज अग्रवाल ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई व साक्ष्यों के अवलोकन के बाद विजयपाल, रामवीर, किशनपाल और उसकी पत्नी जलधारा को फांसी की सजा सुनाई
गोविंद के पिता पप्पू सिंह का कहना है कि 5 साल बाद उन्हें न्याय मिला है. उन्होंने कहा, ‘बेटे को जिस तरह मारा गया था, तब से मुंह में रोटी नहीं चली है. जब भी खाना खाते तो याद आता कि बेटे को न्याय नहीं दिला पाए, आखिरकार जिंदा क्यों हैं. अब कम से कम चैन की नींद सो सकेंगे.”
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