लड़कियों के हाथ से शराब पीकर कसीनो में दांव पर दांव लगाते थे रईस! तब मेरठ पुलिस क्या करती थी?

उस्मान चौधरी

23 Oct 2024 (अपडेटेड: 23 Oct 2024, 03:35 PM)

Meerut News: मेरठ में 3 स्टार एक होटल में कसीनो चलाते पकड़ा गया, जिसमें होटल मालिक सहित आठ लोग गिरफ्तार किए गए. सभी को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया. इस मामले में अब लेटेस्ट अपडेट सामने आया है, जिसे आप खबर में आगे जान सकते हैं.

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Meerut News: मेरठ में 3 स्टार एक होटल में कसीनो चलाते पकड़ा गया, जिसमें होटल मालिक सहित आठ लोग गिरफ्तार किए गए. सभी को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया. होटल मालिक नवीन अरोड़ा सत्ताधारी भाजपा के पूर्व शहर कोषाध्यक्ष हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इस पूरी छापेमारी में लोकल थाने की पुलिस को दूर रखा गया था. बताया जा रहा है कि शहर और आसपास के जिलों के नामचीन लोग यहां पर बैठकर बड़े दाव लगाते थे. पुलिस ने होटल मालिक सहित 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. 

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अब जानिए पूरा मामला 

दरअसल, शास्त्री नगर निवासी नवीन अरोड़ा का हारमनी इन होटल है. नवीन अरोड़ा पूर्व में बीजेपी के शहर कोषाध्यक्ष के पद पर रहे हैं. यह होटल मेरठ के गढ़ रोड पर स्थित है. इसमें नवीन के अलावा कई हिस्सेदारी और हैं. आरोप है कि यहां पर अवैध तरीके से कसीनो का संचालन किया जा रहा था.  सोमवार रात होटल में शहर के अलावा आसपास जिलों के कई नामचीन परिवार के लोग कसीनो में खेलने आए थे. 

 

 

जब पुलिस के अधिकारियों को इस बात की पुख्ता सूचना मिली तो उन्होंने बिना स्थानीय नौचंदी थाने की पुलिस को लिए ही, वहां मेरठ के अलग-अलग सर्कल के तीन सीओ की टीम बनाई. इस टीम में सीओ दौराला सुचिता सिंह, एएसपी ब्रह्मपुरी अंतरिक्ष जैन और सीओ कोतवाली आशुतोष कुमार को शामिल किया गया. सोमवार देर रात छापेमारी हुई और होटल मालिक सहित आठ लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया.

कैसा चलता था ये खेल?

बताया जा रहा है कि कसीनो पर दाव लगाने वाले लोग घर से खाली हाथ होटल पहुंचते थे. सिर्फ एंट्री फीस जमा कर टेबल पर पहुंच जाते थे. उसके बाद काउंटर पर जाकर चिप्स और कॉइन लेकर खेलना शुरू करते थे. काउंटर से कॉइन और चिप्स की रकम उनके खाते में चढ़ जाती थी. हार और जीत के बाद अपने कॉइन और चिप्स जमा कर देते थे. जितने कॉइन और चिप्स कम होते थे, उनका भुगतान अगले दिन उनसे जाकर ले लिया जाता था. अगर कोई चिप्स और कॉइन जीत जाता था, तो उनकी रकम अगले दिन पहुंचा दी जाती थी.  

बताया जा रहा है कि इसी कारण छापेमारी के दौरान पुलिस को मोटी रकम बरामद नहीं हुई. खबर मिली है कि टेबल सजाई जाती थी. लड़कियां टेबल पर शराब परोसती थीं. लोग जाम छलकाने के साथ-साथ एक के बाद एक दाव लगते थे. बताया जा रहा है कि लगभग एक लाख की एंट्री फीस देने के बाद ही टेबल पर पहुंचा जा सकता था. 

 

 

पुलिस को जब इस बारे में पुख्ता जानकारी मिली तो अधिकारियों ने सिविल लाइन सर्कल के तीनों थानों को इस टीम में नहीं रखा. नौचंदी थाने की पुलिस को भी बिल्कुल अंतिम समय में ही बुलाया गया. मगर पुलिस अधिकारियों ने ऐसी किसी बात से इनकार किया और कहा कि इलाके के सभी थानों की पुलिस को बुलाया गया था, लेकिन सिविल लाइन सीओ उस समय यहां नहीं थे. वहां महिलाओं के होने की भी सूचना थी, इसलिए एक महिला सीओ को साथ में लगाया गया था. 

पहले भी विवादों में रहा है ये होटल

आप को बता दें कि हारमनी इन होटल पर पहले भी विवाद हुआ था. जब पुराने मालिक जो फिलहाल मध्य प्रदेश में रहते हैं उन्होंने नवीन अरोड़ा पर धोखाधड़ी करके होटल कब्जाने का आरोप लगाया था. छापेमारी के बाद होटल की तमाम परमीशनों पर भी जांच की जा रही है. हालांकि जब इनको गिरफ्तार कर के थाने से न्यायालय में पेश करने के लिए लाया जा रहा था तो वहां उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की और हंगामा भी करने की कोशिश की. 

 

 

सवाल यही खड़ा होता है कि यहां अवैध तरीके से कसीनो चलाया जा रहा था, तो लोकल थाने की पुलिस को क्यों नहीं पता चल पाया? गिरफ्तार किए गए लोगों में होटल मालिक नवीन अरोड़ा, देवेंद्र सेठी ,संजय अरोड़ा, राजीव गुलाटी, राजकुमार, गौरव कंसल, मोहित टंडन और राकेश हैं. मंगलवार को इनको कोर्ट में पेश किया गया, जहां सब को जमानत पर रिहा कर दिया गया. 

इस मामले में जब यूपी Tak ने मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम से बात की तो उन्होंने बताया कि 'इस पूरे मामले में 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. आठ लोगों की गिरफ्तारी की गई है. मामले की जांच की जा रही है कि आखिर ये लोग शराब कहां से लाते थे, किस तरीके से यह संचालन किया जाता था, कौन-कौन लोग यहां आते थे, कैसे-कैसे यहां पर एंट्री मिलती थी, कितने पैसे लिए जाते थे. इन सब सवालों के जवाब की जांच की जा रही है और इसकी विवेचना की जा रही है." 

 

 

एसपी सिटी आयुष विक्रम से पूछा गया कि आखिर लोकल पुलिस को दूर क्यों रखा गया, उस सर्कल के थानेदारों को और सीओ को दूर क्यों रखा गया तो उन्होंने कहा कि 'सीओ सिविल लाइन उस समय कहीं दबिश पर बाहर थे. इसलिए वह इसमें नहीं थे और सर्कल के थानों की पुलिस को भी बुलाया गया था. क्योंकि वहां महिलाओं के होने की सूचना भी थी इसलिए एक महिला सीओ को लगाया गया. सभी आरोप जिस तरीके से लगाए जा रहे हैं वे गलत हैं, क्योंकि यहां जो संचालक कसीनो का किया जाता था वह परमानेंट नहीं था, सिर्फ और सिर्फ कभी-कभी इसका आयोजन किया जाता था.'

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