Lok Sabha Chunav Exit Polls Date and Time: लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों के लिए शनिवार यानी एक जून को वोटिंग होनी है. इस चरण की 13 लोकसभा सीट में महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव (सुरक्षित), घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज (सुरक्षित) शामिल हैं. ये 13 सीटें यूपी के 11 जिलों में स्थित हैं. इन सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी. और इसके तुरंत बाद आपको uptak.in पर मिलेगा सबसे सटीक एग्जिट पोल. इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस माई इंडिया का यह एग्जिट पोल पहले इतना सटीक साबित हुए हैं कि आप इन्हें एग्जैक्ट पोल भी कह सकते हैं.
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यूपी Tak की वेबसाइट के अलावा आप शनिवार को शाम 6 बजे के बाद हमारे आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी https://www.youtube.com/@UPTakofficial पर भी एग्जिट पोल 2024 लाइव देख सकते हैं. इसके अलावा आप हमारे ऑफिशल फेसबुक पेज https://www.facebook.com/uptakofficial और एक्स (पहले ट्विटर) https://x.com/UPTakOfficial पर भी एग्जिट पोल को देख सकते हैं.
क्या होते हैं एग्जिट पोल? What are Exit Polls?
चुनाव में वोट डालने के तुरंत बाद मतदाताओं के साथ किए जाने वाले सर्वे को एग्जिट पोल कहते हैं. मतदाताओं को प्रभावित न किया जा सके, उन्हें एक स्वतंत्र फैसला लेने लायक माहौल मिले, इसके लिए चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल से संबंधित कायदे कानून बनाए हैं. चुनावी शुचिता बनाए रखने के लिए भारत का चुनाव आयोग (EC) एग्जिट पोल पर सख्त नियम लागू करता है. इसके तहत चुनाव के पहले चरण में मतदान शुरू होने से लेकर आखिरी चरण में मतदान समाप्त होने तक एग्जिट पोल पर रोक लगाई जाती है. यह रोक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया सहित सभी मीडिया फॉर्म पर लागू होती है. EC हर चुनाव के लिए इस प्रतिबंधित अवधि को लेकर खास अधिसूचनाएं जारी करता है.
अगर वोटिंग के बीच दिखाया एग्जिट पोल तो क्या होगा?
एग्जिट पोल के नियमों का उल्लंघन करने पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कानूनी दंड लग सकता है. ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि मतदान के दौरान एग्जिट पोल मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित न करें. ऐसा इसलिए ताकि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे.
एग्जिट पोल का इतिहास- History of Exit Polls
एग्जिट पोल कई दशकों से चुनावी आकलन कर रहे हैं. हालांकि 1960 के दशक में इन्हें ज्यादा साइंटिफिक तरीके से करने की गंभीर कोशिशें शुरू हुईं. बड़े पैमाने पर पहली बार एग्जिट पोल का इस्तेमाल 1967 अमेरिका के केंटकी के गर्वनर चुनाव में हुआ था. इसे सीबीएस न्यूज के लिए वॉरेन मिटोफस्की ने किया था. बाद के दिनों में एग्जित पोल की लोकप्रियता बढ़ी और दुनिया के अलग-अलग देशों के चुनाव में इनका इस्तेमाल होने लगा.
एग्जिट पोल करने का तरीका- Method of Conducting Exit Polls
एग्जिट पोल करने में कई महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं. आइए आपको स्टेप-बाई-स्टेप बताते हैं.
सैंपल सेलेक्शन
पोलिंग स्टेशन: वोटिंग के बाद पोलिंग स्टेशन से सैंपल लेने के लिए मतदाताओं के एक समूह का चुनाव किया जाता है. इसमें ध्यान रखा जाता है कि मतदाताओं की आयु, लिंग, जाति या धर्म से जुड़े पूर्वाग्रहों से बचा जाए.
प्रश्नावली: एग्जिट पोल के लिए एक प्रश्नावली तैयार की जाती है. इसमें पूछा जाता है कि मतदाता ने किसे वोट किया है. प्रश्नावली में मतदाता की आयु, लिंग, जाति और शैक्षणिक स्थिति जैसी डिटेल भी शामिल की जाती है.
डेटा कलेक्शन: सर्वे करने वाले वोटिंग सेंटर से बाहर आ रहे मतदाताओं से संपर्क कर सीधे सवाल करते हैं. कोशिश की जाती है कि मतदाताओं की भागीदारी सर्वाधिक हो. जितना अधिक डेटा कलेक्शन सटीक एग्जिट पोल की संभावना उतना ही ज्यादा.
इसके बाद डेटा को इकट्ठा कर उसका विश्लेषण किया जाता है. सटीक अनुमान के लिए सांख्यिकी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्हीं तकनीकों से पूर्वाग्रह को लेकर हो सकने वाले संभावित एरर को कम करने की कोशिश की जात है. इसके बावजूद मतदाता का मन सुप्रीम होता है. इसीलिए कई बार तमाम प्रयासों के बावजूद एक्गिट पोल सटीक नहीं हो पाते.
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