Meerut Lok Sabha exit poll 2024: यूपी समेत देशभर की लोकसभा सीटों पर वोटिंग समाप्त होने के बाद अब Lok Sabha Election 2024 के Exit poll सामने आ गए हैं. हम यहां आपको मेरठ (Meerut Lok Sabha seat) लोकसभा सीट पर हुई वोटिंग के बाद यहां के स्थानीय पत्रकारों का एग्जिट पोल बता रहे हैं. मेरठ से बीजेपी ने रामायण सीरियल में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को टिकट दिया. सपा ने इस सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति से आने वाली पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को टिकट दिया. बसपा ने यहां देवव्रत त्यागी को उतारा. सवाल यह है कि क्या सपा की सुनीता वर्मा बीजेपी के अरुण गोविल पर भारी पड़ गईं? आइए आपको पत्रकारों का एग्जिट पोल बताते हैं.
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मेरठ में किसका पलड़ा भारी
पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘मेरठ में मुकाबला बहुत जोरदार है, कांटे की टक्कर है. बीजेपी ने चेहरा बदला शायद उन्हें एंटी इंकबेंसी की आशंका थी. बड़े चेहरे अरुण गोविल को बीजेपी लेकर आई लेकिन जैसा रंग जमाना चाह रही थी वैसा जमा नहीं. सपा की प्रत्याशी सुनीता वर्मा के पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा यहीं के रहने वाले थे. सुरक्षित सीट नहीं होने के बावजूद अखिलेश यादव ने यहां से दलित प्रत्याशी दिया. अखिलेश यादव को इस सोशल इंजीनियरिंग का लाभ मिलता दिख रहा है. बहुत सारे दलित बाहुल्य क्षेत्रों में सपा को अच्छा समर्थन मिला है. अगर सपा को वह भी समर्थन मिल गया तो 2019 और 2022 में बीजेपी के पास जाना शुरू हो गया था, खासतौर पर दलित वोटर, तो ये बड़ी बात है. विपक्ष ने भाजपा के 400 पार के नारे को आरक्षण और संविधान से जोड़ने में कामयाबी पाई. 2019 के आरक्षण आंदोलन में भी योगेश वर्मा का अहम रोल रहा जिससे उनका एक काडर बना है. बीजेपी के कैडर में थोड़ा उत्साह कम देखने को मिला है. ऐसे में मुकाबला कांटे का है. मेरठ शहर और किठौर विधानसभा में सपा जीती हुई है. पिछली बार चारों विधानसभा सीटों पर याकूब कुरैशी कुछ ही वोटों से हारे थे. मुझे लगता है कि इस बार भी मेरठ कैंट विधानसभा का नतीजा ही फाइनल नतीजा तय करेगा.’
‘मेरठ में दलित सपा की तरफ हुए शिफ्ट’
पत्रकार रविंद्र राणा कहते हैं, ‘मोटे तौर पर जो अनुमान है, छोटे सैंपल साइज के आधार पर मेरा निष्कर्ष है कि इस बार यहां बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा था. राजपूतों की नाराजगी थी. दलितों में संविधान और आरक्षण बचाने का मुद्दा बना था. वोटिंग के दिन दलित शिफ्ट हुए सपा के तरफ. बसपा ने देवव्रत त्यागी को टिकट दिया. वह मुस्लिम, त्यागी और दलित कॉम्बिनेशन बनाना चाहते थे. लेकिन मुस्लिम एकतरफा इंडिया गठबंधन को पड़ा. दलितों में बिखराव हुआ तो त्यागी भी बीजेपी की तरफ चले गए. राजपूतों में नाराजगी वोट में कितना बदली? दलित सपा में कितने शिफ्ट हुए? इन बातों से नतीजा तय होगा. यहां टफ फाइट है. अरुण गोविल को मुसीबतों का सामना करना पड़ा है. आरएसएस का नेटवर्क भी अंत के तीन-चार दिनों में एक्टिव हुआ.’
‘मेरठ में इंडिया गठबंधन हावी’
पत्रकार राशिद कहते हैं, 'मेरठ में जमीनी रिपोर्ट बताती है कि गठबंधन हावी दिखा है. यहां मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं. मुस्लिमों के साथ अगर दलित और ठाकुर वोट मिल जाता है, तो इंडिया गठबंधन आगे रहेगा. बीजेपी ने इतना बड़ा कैंडिडेट उतार दिया कि जनता उनसे मिल ही नहीं पाई. मुस्लिम और दलित बाहुल्य क्षेत्रों में गठबंधन हावी दिखाई दिया है.'
‘मेरठ में समाजवादी पार्टी पहली बार फाइट में’
पत्रकार श्रीपाल तेवतिया बताते हैं, 'सामान्य सीट पर सपा ने एससी कैटिगरी की महिला पर दांव खेला. दो बार कैंडिडेट बदले. बीजेपी ने भी अपना कैंडिडेट बदला. बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो उनकी नैया पार यहां सगा सके. बीजेपी को लगता था कि 22 जनवरी यानी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो माहौल बना है वो आगे बढ़ेगा. पर ऐसा होता दिखा नहीं है. बीजेपी को लगता था कि अयोध्या का असर दिखेगा. पर असर कुछ और दिख रहा है. मेरठ में अरुण गोविल का दांव सोचा समझा था लेकिन यहां पहली बार समाजवादी पार्टी फाइट में आई है. यहां सपा और बीजेपी में पहली बार सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है.'
2019 में आए थे ऐसे नतीजे
पार्टी | प्रत्याशी | वोट |
भाजपा | राजेंद्र अग्रवाल | 586,184 |
सपा+बसपा | याकूब कुरैशी | 5,81,455 |
कांग्रेस | हरेंद्र अग्रवाल | 34,479 |
हार-जीत में अंतर | 4,729 |
नोट: यह महज एग्जिट पोल और पत्रकारों के आकलन का दावा है. 4 जून को इस सीट पर नतीजे इससे अलग भी हो सकते हैं.
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