Uttar Pradesh By Election 2024 : लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों पर टिकी हैं. लोकसभा चुनाव मे यूपी में शानदार प्रदर्शन करने वाले सपा-कांग्रेस के गठबधन की अगली परीक्षा होगी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 33 सीटें जीती हैं तो कांग्रेस और सपा गठबंधन ने 43 सीटें अपने नाम की. वहीं लोकसभा के ताजा रिजल्ट से उत्साहित कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों की नजर अभी से विधानसभा उप चुनाव पर है.
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यूपी के कई ऐसे नेताओं ने लोकसभा का चुनाव लड़ा जो मौजूदा समय में विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य थे.अब लोकसभा की सदस्यता मिलने के बाद ये लोग उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद की सदस्यता के साथ मंत्री पद से भी इस्तीफा देने का सिलसिला शुरु हो गया है. जिसके बाद इन सीटों पर उपचुनाव होना लगभग तय है.
इन सीटों पर होगा उपचुनाव
लोकसभा चुनाव के के जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं उसके मुकाबिक उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा और 1 विधान परिषद सीट पर अब उपचुनाव होने हैं. कारण, इन सीटों से विधायक अब सांसद बन चुके हैं और एक-एक करके विधायकी से इस्तीफा देने जा रहे हैं. इसके बाद प्रदेश की 9 विधानसभा और 1 विधान परिषद सीट पर आगामी 6 महीने के भीतर उपचुनाव होगा. जिन 9 विधानसभा सीटों पर 4 पर सपा, 3 पर बीजेपी और 1-1 पर आरएलडी-निषाद पार्टी के विधायक हैं.
NDA के पास हैं पांच सीटें
इन 9 सीटों में पांच सीटें बीजेपी और एनडीए सहयोगियों के पास हैं. गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, हाथरस से विधायक अनूप वाल्मीकी, फूलपुर से प्रवीण पटेल, मझवां से विनोद बिंद और मीरापुर से विधायक चंदन चौहान अब सांसद बन चुके हैं. एनडीए के सामने चुनौती है कि कैसे वो अपनी ये पांच सीटें बचाए.
बात वर्तमान की करें तो यूपी में कांग्रेस के दो विधायक 6 लोकसभा सदस्य हैं. इसलिए कांग्रेस चाहेगी कि गठबंधन का संदेश 2027 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव तक बनाकर रखें. इसके लिए उपचुनाव में भी दोनों दल मिलकर ही लड़ें.
सपा-भाजपा के साथ इनकी भी होगी परीक्षा
उपचुनाव से गठबंधन के सहयोगियों के बीच भी तालमेल की परीक्षा होगी. बिजनौर से सांसद बनने वाले चंदन चौहान मीरापुर से आरएलडी के विधायक थे. अब ये सीट उपचुनाव में भी आरएलडी के खाते में जाएगी. बीजेपी-आरएलडी के तालमेल की यहां परीक्षा होगी. उसी तरह लोकसभा की जीत में कदम से कदम मिलाकर समाजवादी पार्टी के साथ चलने वाली कांग्रेस क्या सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए उसी तरह अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगी ये देखना अहम होगा. कांग्रेस इन चार सीटों में अपनी हिस्सेदारी भी मांग सकती है. जितिन प्रसाद के विधानपरिषद की सीट खाली होने से एक एमएलसी सीट का भी चुनाव होगा.
क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा विधायकों का क्या होगा?
इसी साल फ़रवरी में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 समाजवादी पार्टी के विधायकों पर भी तलवार लटक रही है. इसमें से मनोज पाडेंय ऊंचाहार से, राकेश पांडेय जलालपुर, अभय सिंह गोसाईंगंज, राकेश प्रताप सिंह गौरीगंज, विनोद चतुर्वेदी कालपी और पूजा पाल चायल से विधायक हैं. माना जा रहा है समाजवादी पार्टी इन सीटों पर पूरी तरीक़े से अपना दमख़म दिखाएंगी क्योंकि वह इन विधायकों को माफ़ करने के मूड में नहीं है. अगर समाजवादी पार्टी इन बाग़ी विधायकों के ख़िलाफ़ अयोग्यता याचिका दायर करती है और विधानसभा अध्यक्ष उन्हें अयोग्य घोषित कर देते हैं, तो यहां भी उपचुनाव कराना पड़ेगा.
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