Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर में दसों दिशाएं गूंज उठेंगी जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) होगी. इस अवसर पर प्रधानमंत्री और विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी में संत महंत मंगलकामना करेंगे. समारोह को ख़ास बनाने के लिए ‘मंगलध्वनि’ होगी. इसमें देश के अलग अलग राज्यों के विशिष्ट वाद्ययंत्रों का समावेश किया गया है.
ADVERTISEMENT
होगी मंगलध्वनि की गूंज
श्रीराम की जन्मभूमि सबसे बड़े समारोह के लिए तैयार है. समारोह को ख़ास बनाने के लिए ‘मंगल ध्वनि’ की जाएगी. इसमें देश के अलग अलग राज्यों के वाद्ययंत्रों को शामिल किया गया है. उत्तर प्रदेश से पखावज, बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, पंजाब से अलगोजा, महाराष्ट्र से सुंदरी, उड़िसा से मर्दल, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग,असम से नगाड़ा और काली और छत्तीसगढ़ से तम्बूरा वाद्ययंत्र शामिल होंगे. इन वाद्ययंत्रों के समवेत स्वर से मंगलध्वनि की जाएगी जो अपने आप में पहली ऐसी मंगल ध्वनि होगी. जिसमें कईविलुप्त वाद्ययंत्रों का संयोजन किया गया है.
50 से ज़्यादा वाद्ययंत्रों की होगी प्रस्तुति
श्रीराम तीर्थ ने अपने ऑफ़िशियल एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि ‘भक्ति भाव से विभोर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातःकाल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा. 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से, लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे.’ अयोध्या के लेखक, साहित्य और संगीत के जानकर यतींद्र मिश्र ने इस भव्य मंगल वादन के परिकल्पना और संयोजन किया है. अलग अलग प्रदेशों के वाद्य यंत्रों को साथ लाने में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने सहयोग किया है.
कार्यक्रम में भारत की विविधता की झलक
सुबह 10 बजे से प्राण-प्रतिष्ठा मुहूर्त के ठीक पहले तक, लगभग 2 घण्टे के लिए श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर में शुभ की प्रतिष्ठा के लिए ‘मंगल ध्वनि का आयोजन किया जाएगा. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि, ‘हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा में किसी भी शुभ कार्य, अनुष्ठान, पर्व के अवसर पर देवता के सम्मुख आनन्द और मंगल के लिए पारम्परिक ढंग से मंगल- ध्वनि का विधान रचा गया है. इसी सन्दर्भ में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा का यह श्रीअवसर, प्रत्येक भारतवासी के लिए शताब्दियों में होने वाला ऐसा गौरव का क्षण है, जब हम सम्पूर्ण भारत के विभिन्न अंचलों और राज्यों से वहां के पारम्परिक वाद्यों का वादन यहां श्रीरामलला के सम्मुख करने जा रहे हैं.’
ADVERTISEMENT