Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में 500 साल बाद राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण किया गया है. राम मंदिर में रामलला की आने वाली 22 जनवरी के दिन प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी. इस पल को ऐतिहासिक माना जा रहा है. दरअसल राम मंदिर और राम मंदिर के लिए किए गए संघर्ष का एक इतिहास रहा है. जब ये विवाद कोर्ट में था तब इतिहास के साथ-साथ पुरातत्व सर्वेक्षण की भी अहम भूमिका रही थी. ऐसे में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के करीब 2 हजार फीट नीचे टाइम कैप्सूल दबाया गया है, जिससे राम मंदिर का इतिहास हमेशा के लिए जिंदा रहे. UP Tak ने इस दावे की पड़ताल की है. ये दावा सही है या गलत? ये जानने से पहले आप पहले ये जानिए कि आखिर ये टाइम कैप्सूल होता क्या है?.
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क्या होता है टाइम कैप्सूल
दरअसल टाइम कैप्सूल को किसी कालखंड या किसी जगह की जानकारी देने के लिए रखा जाता है. इसे धरती की गहराइयों में दबाया जाता है. इसके पीछे का मकसद ये होता है कि आने वाले 500 या हजार साल बाद अगर कभी ये टाइम कैप्सूल मानव को मिले, तो वह उस जगह की जानकारी हासिल कर सके.
टाइम कैप्सूल में किसी खास स्थान, विषय या संस्कृति-इतिहास से संबंधित सारे अहम दस्तावेज, तस्वीरें और सारी महत्वपूर्ण सूचनाएं रखी जाती हैं. फिर इन्हें जमीन के हजारों फीट नीचे दबा दिया जाता है. माना जाता है कि अगर कभी इंसान के हाथ में ये टाइम कैप्सूल लगा, तो उसे उस समय की सारी जानकारी इसके माध्यम से मिल जाएगी.
अयोध्या राम मंदिर में टाइम कैप्सूल को लेकर क्या दावा किया जा रहा है?
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि राम मंदिर का निर्माण करते समय राम मंदिर के नीचे भी टाइम कैप्सूल को मिट्टी में दबाया गया है. करीब 2 हजार फीट नीचे टाइम कैप्सूल को दबाया गया है. दावे के मुताबिक, टाइम कैप्सूल में अयोध्या, अयोध्या विवाद और राम मंदिर के बारे में सारी जानकारी, सारें दस्तावेज, फोटो समेत सभी अहम चीजे रखी गई हैं.
दावा किया गया है कि टाइम कैप्सूल साल 2957 तक के लिए जमीन के 2 हजार फीट नीचे दफन किया गया है, जिससे भविष्य में अगर फिर किसी भी तरह का विवाद होता है, तो टाइम कैप्सूल को बाहर निकालकर उस विवाद को खत्म किया जाएगा और मंदिर का इतिहास हमेशा जिंदा रहेगा.
तो क्या मंदिर के नीचे दबाया गया है टाइम कैप्सूल?
UP Tak ने सोशल मीडिया पर चल रहे इन दावों की सच्चाई खोजने की कोशिश की. जहां-जहां से राम मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल को रखने के दावे किए जा रहे थे, वहां इस मामले को लेकर काफी कम जानकारी दी गई है. इसी दौरान यूपी तक ने राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल से बात की.
राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने टाइम कैप्सूल के दावों को लेकर साफ कहा कि मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दबाए जाने की बात उनकी जानकारी में नहीं है. कामेश्वर चौपाल की बात से हमें भी लगा कि टाइम कैप्सूल की बात सिर्फ अफवाह है. मगर हमने अपनी कोशिशे जारी रखी और इस बारे में और पता किया.
ऐसे में काफी खोजने के बाद हमें इस मामले को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट का एक ट्वीट दिखा, जो उन्होंने सोशल मीडिया X पर शेयर किया था. ट्वीट में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का एक वीडियो था, जिसमें वह टाइम कैप्सूल के बारे में बात कर रहे थे.
टाइम कैप्सूल के बारे में क्या बोल रहे थे चंपत राय
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साल 2020 में एक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में उन्होंने टाइम कैप्सूल के दावों को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था, सोशल मीडिया पर राम मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल के दावों में कोई सच्चाई नहीं हैं. ये दावे पूरी तरह से गलत हैं. इन दावों को प्रचारित ना करें और राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा दी गई जानकारी को ही सही मानें.’
ऐसे में UP Tak की पड़ताल इस नतीजे पर पहुंची है कि राम मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दबाने की बात सिर्फ अफवाह है. इस दावे के पक्ष में यूपीतक को कोई ठोस तथ्य नहीं मिला है. चंपत राय के वीडियो के बाद से राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से भी इस मामले को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
इस मामले से इतर देश और विदेशों में कई स्थानों पर टाइम कैप्सूल को रखा गया है. इनको रखने का मकसद ये है कि आने वाले समय में अगर विनाश होता है तो आगे आने वाले इंसानों को पहले की दुनिया की जानकारी हो सके. मतलब की आने वाले हजार साल बाद भी इंसानों को हजार साल पहले की दुनिया की जानकारी मिल सके.
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