उत्तर प्रदेश में संजीव जीवा हत्याकांड (sanjeev jiva murder case) मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. पिछले दिनों लखनऊ स्थित एक कोर्ट परिसर में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शूटर को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार कर लिया था. इस पूरे मामले पर एसआईटी की जांच हो रही है.
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इस मामले में सिर्फ सिपाहियों पर कार्रवाई करने को लेकर विपक्षी दलों ने सत्ताधारी बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. विपक्ष ने कहा कि चाहे प्रयागराज का मामला हो या लखनऊ का, दोनों जगह पर नीचे तबके के आदमी पर कार्रवाई होती है. यूपी के अधिकारी सरकार की छवि जंगलराज की बना रहे हैं. पूर्व डीजीपी ने भी यह कहा कि अधिकारियों की जिम्मेदारी एसआईटी की जांच के साथ तय होनी चाहिए.
लखनऊ कचहरी हत्याकांड मे पुलिस फोर्स के छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही को लेकर सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने कहा, “उमेश पाल से लेकर संजीव जीवा कांड, जिम्मेदार कप्तान, कमिश्नर न होकर दारोगा, कोतवाल क्यों? राज्य की संलिप्तता से हो रही हत्याओं में भाजपा सरकार और इसके कप्तान यूपी की छवि जंगलराज की बना रहे हैं, जो शर्मनाक है.”
कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के नेता शाहनवाज आलम ने कहा,
“प्रयागराज की घटना में भी कॉन्स्टेबल पर कार्रवाई हुई और लखनऊ की जीवा हत्याकांड में भी कार्रवाई सिर्फ कांस्टेबल पर हुई. ऊपर के अधिकारी बैठे हुए हैं, जमे हुए हैं. जो जिम्मेदार हैं, उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है और यही वजह है कि छोटे लोगों पर कार्रवाई करके खानापूर्ति की जा रही है.”
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा कि शुरुआत में जो कॉन्स्टेबल होते हैं उन पर ही कार्रवाई की जाती है. हालांकि इसमें जो बड़े अधिकारी हैं उनकी संलिप्तता के बारे में भी जांच की जानी चाहिए. अलग ही माना जाता है कि जो कमी रहती है और शुरुआती जो कॉन्स्टेबल रहते हैं वहां तक रहती है. उसके बाद अधिकारी तक आती है. जहां तक कानून व्यवस्था की बात है तो कार्रवाई बड़े अधिकारियों पर होनी चाहिए.
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