Mahoba News: यूपी के महोबा का जिला अस्पताल हमेशा अपने अजब-गजब कारनामों से सुर्खियों में रहता है. अब फिर यहां अजब कारनामा हुआ है. आरोप है कि जिला अस्पताल में एक मरीज से प्लास्टर चढ़ाने के एवज में रिश्वत मांगी गई, जिसके बाद उसने मौके पर पुलिस बुला ली. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़ित की समस्या को सुनते हुए निशुल्क इलाज किए जाने की बात मौजूद स्टाफ से की, जिस पर डॉक्टर न होने की बात कहकर मामले को टाल दिया गया.
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विस्तार से जानिए पूरा मामला
दरअसल, महोबा का जिला अस्पताल आए दिन अपनी गड़बड़ियों के कारण चर्चा में रहता है. इसको लेकर जिलाधिकारी के निर्देश पर मजिस्ट्रेट की भी तैनाती की गई है, ताकि आने वाले मरीजों को आर्थिक और शारीरिक परेशानी ना उठानी पड़े. यहीं नहीं अस्पताल में हो रही लापरवाही को उजागर करने पर कवरेज रोकने के लिए सीएमएस ने अस्पताल में पोस्टर तक चस्पा किया है. मीडिया को कवरेज करने से रोकने के लिए पोस्टर तो लगा दिए गए हैं, मगर अपनी गलतियों में जिला अस्पताल सुधार नहीं कर रहा.
जिला अस्पताल में तैनात मरीजों से धन उगाही और अभद्रता के मामले कम नहीं हो रहे. आरोप है कि शुक्रवार को फिर एक मरीज से इलाज के नाम पर खुलेआम पैसों की मांग की गई, तो पीड़ित ने मजबूरन पुलिस बुला ली.
महोबा की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के प्रकाश बम्हौरी गांव में रहने वाले देवेंद्र कुमार के पैर में चोट होने के चलते उनका मित्र पवन उन्हें अपने साथ लेकर जिला अस्पताल आया था. यहां इमरजेंसी वॉर्ड में तैनात स्टाफ द्वारा इलाज से पहले ही एक्स-रे कराने के लिए अस्पताल के बाहर भेज दिया गया. आरोप है कि मरीज जब प्राइवेट एक्स-रे करा कर वापस आया तो उसके पैर में प्लास्टर चढ़ाने के एवज में 350 रुपये की रिश्वत मांगी गई.
मरीज ने जब अस्पताल में निशुल्क इलाज मिलने की बात कही, तो कथित तौर पर मौजूद स्टाफ भड़क उठा और सुविधाशुल्क न देने पर इलाज करने से ही मना कर दिया. आरोप है कि पीड़ित ने इसका विरोध किया तो उसके साथ मौजूद स्टाफ ने अभद्रता कर दी. अस्पताल में मांगी जा रही रिश्वत और इलाज न होता देख पीड़ित को मजबूरन पुलिस का सहारा लेना पड़ा है. पीड़ित ने डायल 112 पुलिस को फोन कर दिया और अपनी समस्या बताई.
इसके बाद सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शिकायतकर्ता से पूरा मामला जाना तो उसने बताया कि अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में प्लास्टर चढ़ाने के नाम पर पैसों की मांग की गई है. पूरे मामले की गंभीरता समझते हुए पुलिस ने अंदर मौजूद स्टाफ से बातचीत की तो उन्होंने लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताकर पल्ला ही झाड़ लिया. स्टाफ ने कहा कि प्लास्टर चढ़ाने वाले डॉक्टर मौजूद नहीं है, कल ही प्लास्टर चढ़ेगा और पूरे मामले को ही टाल दिया. इसके बाद पीड़ित को बिना प्लास्टर चढ़वाए की वापस जाना पड़ा.
मरीज का मित्र पवन ने कहा कि ‘निशुल्क इलाज सरकारी अस्पताल में मिलना चाहिए. मगर यहां तो खुलेआम पैसों की मांग की जा रही. पहले बाहर से एक्सरे कराया गया और फिर प्लास्टर के एवज में पैसों की मांग की गई. जिला अस्पताल में इलाज के लिए पुलिस को दखल देना पड़ा, इसके बाद भी अस्पताल का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.’
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