प्रयागराज के दो छात्रों ने किसानों का ख्याल रखते हुए एक ऐसा डॉक्टर एग्रीकल्चर ड्रोन तैयार किया है जो किसानों की फसलों की बीमारी का पता लगाएगा और उनकी आवश्यकता के अनुसार उनपर कीटनाशक दवा का छिड़काव भी करेगा. प्रयागराज के ट्रिपल आईटी के छात्रों द्वारा बनाए गए इस डॉक्टर ड्रोन की वजह से किसानो की जिंदगी में नया बदलाव आएगा.
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प्रयागराज के ट्रिपल आईटी के दो छात्रों ने एग्रीकल्चर ड्रोन कैमरा (कृषि ps.1925) की टेक्नोलॉजी का किसान इस्तेमाल कर अपनी खेती में अच्छी पैदावार के सपने को साकार कर सकते हैं. ये एग्रीकल्चर ड्रोन कैमरा एक डॉक्टर की तरह काम करेगा जो किसानों के फसलों को कीड़े से बचाने के साथ ही फसलों को पता कर पर उनके जरूरत के हिसाब से दवा का छिड़केगा.
ड्रोन को तैयार करने में लगा 3 साल
प्रयागराज के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान यानी ट्रिपल आईटी से शोध कर रहे पवन और शेफाली रामटेक ने 3 साल पहले एग्रीकल्चर ड्रोन पर काम करना शुरू किया था. पहले एक छोटा ड्रोन बनाया और अब उसी छोटे एग्रीकल्चर ड्रोन को और अपग्रेड कर दिया है. शेफाली और पवन को इसे बनाने में तकरीबन 8 लाख रुपये का खर्चा आया. ये एग्रीकल्चर ड्रोन भारत के कई हिस्सों में आयोजित प्रतियोगिताओं में सराहा जा चुका है.
इस तरह से देगा किसानों को फायदा
एग्रीकल्चर ड्रोन पर काम कर रहे पवन का कहना है मैं अक्सर किसानों को पीठ पर लादकर अपने खेतों पर दवा का छिड़काव करते हुए देखता था. तब से मुझे लगा कि मैं किसानों के लिए एक ऐसा ड्रोन कैमरा तैयार करूंगा जो किसानों के खेतों पर दवा का छिड़काव करेगा और किसानों को पीठ पर लादकर दवा का छिड़काव नहीं करना पड़ेगा. ये डॉक्टर ड्रोन किसानों की खेतों कि बीमार फसलों की पहचान कर आवश्यकता के अनुसार दवा का छिड़काव करेगा. ड्रोन कैमरे में एनआईडीबीआई सेंसर लगा है जो बीमार फसलों का पता लगाता है. यही नहीं ये एग्रीकल्चर ड्रोन कैमरा तकरीबन 30 किलो का वजन भी उठा सकता है. तकरीबन 25 मिनट तक यह हवा में भी हो सकता है. पवन के मुताबिक यह ड्रोन कैमरा किसान अपने खेतों पर 500 रुपए में किराए पर लेकर तकरीबन एक बीघा खेत में इस्तेमाल कर सकता है.
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