Prayagraj News: श्रवण कुमार की कहानी देश का बच्चा-बच्चा जानता है. माता-पिता की सेवा के श्रवण कुमार भारतीय आदर्श हैं. इस युग में भी कभी-कभी कुछ ऐसी कहानियां सामने आ जाती हैं, जो हमें श्रवण कुमार के सेवा भाव की याद दिलाती हैं. कुछ ऐसी ही कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे सुन आप भी कहेंगे ‘ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार’.
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कलयुग के श्रवण कुमार का नाम स्वर्ण कुमार यानी कृष्ण कुमार है. कृष्ण कुमार 25 साल पुराने स्कूटर पर अपनी मां को बैठाकर देश के धार्मिक स्थलों के दर्शन कराने के लिए निकले हैं. वह साल 2018 में इस यात्रा के लिए निकले थे, जो अभी तक जारी है. कोरोना ने उनकी इस यात्रा में गतिरोध ला दिया था. मगर कोरोना के बाद उन्होंने अपनी यह यात्रा अपनी मां के साथ फिर शुरू कर दी.
75 साल की मां के साथ कर चुके हैं अब तक 66 हजार किलोमीटर की यात्रा
कृष्ण कुमार कर्नाटक राज्य के मैसूर के रहने वाले हैं. उनकी मां चूड़ा रतनम्मा की उम्र 75 साल है. वह अब तक 66 हजार से अधिक की यात्रा एक स्कूटर से अपनी मां के साथ कर चुके है. इसी के साथ वह अपनी मां के साथ 4 अन्य देशों की भी यात्रा कर चुके हैं. इसी यात्रा के दौरान वह प्रयागराज पहुंचे. उन्होंने अपनी इस यात्रा का नाम मातृ संकल्प यात्रा दिया है.
मां के सपनों को पूरा करना बना लिया जिंदगी का लक्ष्य
मिली जानकारी के मुताबिक, कृष्ण कुमार ने अपनी मां की इच्छा पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी शादी भी नहीं की. वह अपने पिता के स्कूटर पर अपनी मां को बैठा कर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा के लिए निकल पड़े.
पिता के स्कूटर पर कृष्ण कुमार इसलिए यात्रा करते हैं क्योंकि यह स्कूटर उनके पिता का है. उनका कहना है कि इस स्कूटर पर बैठकर उन्हें लगता है कि उनके साथ इस यात्रा में 2 नहीं बल्कि 3 लोग हैं. कृष्ण कुमार ने बताया कि साल 2018 में उन्होंने अपनी मां के साथ छाता, पानी की बोतल और खाने पीने के सामान के साथ यात्रा शुरू की थी. पहले आस-पास और कर्नाटक के धार्मिक स्थलों के दर्शन किए. फिर अन्य प्रदेशों में यात्राएं की.
चेतक स्कूटर से कर चुके हैं नेपाल, भारत और भुटान की यात्राएं अब आए प्रयागराज
बता दें कि कृष्ण कुमार फिलहाल अपनी मां के साथ स्कूटर से प्रयागराज आए हुए हैं. वह यहां धार्मिक स्थलों की यात्राएं कर रहे हैं. बता दें कि वह इसी स्कूटर से नेपाल. भूटान और म्यांमार की यात्रा कर चुके हैं. कोरोना की वजह से इन्हें भुटान सीमा पर अपनी यात्रा रोकनी पड़ी थी.
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