मुख्तार अंसारी की मौत के बाद भी उनके वकील ने कर दिया खेल, फंस जाएंगे अफसर?

सैयद रेहान मुस्तफा

29 Mar 2024 (अपडेटेड: 29 Mar 2024, 05:17 PM)

बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई. तबियत खराब होने के बाद गुरुवार को मुख्तार को इलाज के लिए बांदा  मेडिकल कॉलेज लाया गया था.

Mukhtar Ansari

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Uttar Pradesh News : बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई. तबियत खराब होने के बाद गुरुवार को मुख्तार को इलाज के लिए बांदा  मेडिकल कॉलेज लाया गया था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मुख्तार के मौत पर परिवार के तरफ से कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. आरोप है कि मुख्तार की को जेल के अंदर धीमा जहर दिया गया है. वहीं अब बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार अंसारी के वकील ने एफआईआर दर्ज करने की तहरीर दी है. तहरीर में जेल प्रशासन पर मुकदमा दर्ज करने की अपील की गई है. 

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मुख्तार के वकील ने कोर्ट से कर दी बड़ी मांग

मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बाराबंकी कोर्ट में तहरीर देकर बांदा जेल प्रशासन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. बता दें कि बाराबंकी के एमपी– एमएलए कोर्ट में आज मुख्तार अंसारी की पेशी होनी थी. वहीं कोर्ट में बांदा जेल अधीक्षक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए.  उन्होंने बताया कि कल रात 9:50 पर बंदी मुख्तार अंसारी की मृत्यु हो गई है. जिस पर जज कमलकांत श्रीवास्तव ने अगली तारीख 4 अप्रैल लगवाते हुए रिपोर्ट तलब की है.

जेल प्रशासन पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग

वहीं मुख्तार अंसारी की तरफ से उनके वकील रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि, 'एमपी– एमएलए कोर्ट में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा 21 मार्च 2024 को न्यायालय के समक्ष दिए गए प्रार्थना पत्र को "मृत्युकालीन कथन" मान कर मुकदमा दर्ज़ करने की अर्जी दी है. जिसको जज ने फैसले को रिजर्व करते हुए अगली तारीख 4 अप्रैल लगा दी है. कोर्ट से ये भी अपील की है कि बांदा जेल का सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर ,अधिकारियों के एंट्री का रजिस्टर्ड ,फोटोग्राफ संरक्षित किए जाए.

क्या होता है "मृत्युकालीन कथन"

यहां जानकारी के लिए मृत्युकालिन कथन किसी भी व्यक्ति द्वारा मौत से पहले दिया गया हुआ बयान होता है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम
1872 की धारा 32 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के द्वारा किया गया मृत्युकालिक कथन एक ठोस साक्ष्य होगा. हालांकि समय-समय पर इसे अदालतों में चुनौती मिलती रही है.

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