Gyanvapi-Shringar Gauri Case: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद केस इस वक्त काफी चर्चा में है. पिछले दिनों वाराणसी की एक अदालत की तरफ से ज्ञानवापी परिसर के साइंटिफिक सर्वे के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया और मामले को हाई कोर्ट के सामने ले जाने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की और सर्वे को गुरुवार तक रोकने और आज फिर सुनवाई का निर्देश दिया है. इस मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष, दोनों के अपने-अपने दावे हैं. यूपी Tak ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी (मुस्लिम पक्ष) के वकील सैयद फरमान नकवी से बात की. पेश है इस बातचीत के संपादित अंश…
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हिंदू पक्ष कह रहा है कि खुदाई नहीं होगी, तो फिर ऐतराज क्या है? इस सवाल के जवाब में एडवोकेट नकवी ने कहा, ‘डिस्ट्रिक जज का ऑर्डर, जिसे हमने चैलेंज किया है, उसमें बार बार Excavation की बात आ रही है. Excavation का मतलब होता है खुदाई. बार-बार कोर्ट यह कह रही है कि आप वहां जाकर खुदाई करें. हम कैसे मान लें कि वहां ये (ASI) खुदाई नहीं करेंगे? ये उसी आदेश के डायरेक्शन के आधार पर वहां मौके पर पहुंचे हुए हैं फावड़ा-कुदाल लेकर. ऐसी स्थिति में ये खुदाई नहीं करेंगे, इसकी क्या गारंटी है?’
हिंदू पक्ष का आरोप है कि मुस्लिम पक्ष मामले को टालने में जुटा है? इस सवाल के जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, ‘यह बचकानी बात है. उनका दावा है कि 1989 में उन्हें पूजा करने से अगर रोका गया तो 2023 तक यह कहां थे? टाल तो आप रहे हैं. इससे लगता है कि आपका क्लेम कहीं नहीं है. आप एक आर्टिफिशल क्लेम पॉलिटकल हित के लिए लेकर आ गए हैं. आप अब कोर्ट का इस्तेमाल करके चाहते हैं कि आपके पॉलिटिकल एजेंडे को कोर्ट पूरा कराए.’
जानिए वजुखाने को लेकर क्या दिया तर्क?
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि, ‘इमारत के गुंबद के नीचे अंदर वजुखाना है. अगर किसी भी वजह से कम से कम 600 साल से अधिक पुरानी बिल्डिंग में कुछ भी नुकसान हुआ, तो पूरी बिल्डिंग ढह सकती है. ऐसे में वो हिस्सा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में प्रोटेक्ट किया है, उसे भी नुकसान पहुंच सकता है.’
हिंदू पक्ष के तमाम क्लेम हैं, जैसे स्वास्तिक का निशान, ओम का चिन्ह मिला है, जो मंदिर होने की बात कहता है, इसपर क्या कहना है? इस सवाल के जवाब में नकवी ने कहा कि, ‘ये उनका क्लेम है. उनका दावा है कि ऐतिहासिक रूप से कुछ बादशाहों ने हमारे साथ गलत किया. इतिहास में ऐसे तमाम जिक्र हैं, हो सकता है कि किसी ने गलत किया हो, लेकिन ऐतिहासिक गलती को आज सही करने बैठेंगे तो संभव नहीं है.’
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