Varanasi News : एम्स का दर्जा प्राप्त वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सरसुंदर लाल अस्पताल में पिछले पांच दिनों से हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष ओमशंकर आमरण अनशन पर हैं. उनकी मांग है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे चिकित्सा अधीक्षक डॉ केके गुप्ता को पद से हटाया जाए और बढ़ते हृदयरोगियों के मुताबिक बेड बढ़ाया जाए, इतना ही नहीं अनशन पर बैठे डॉ ओमशंकर ने वर्तमान के BHU कुलपति पर भी नियम विरूद्ध तरीके से BHU के संचालन और नियुक्ति का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि मरने दम तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. वहीं BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने सभी ओरोपों को बेबुनियाद बताया है और यहां तक कह दिया कि उनके साथ किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार डॉ ओमशंकर होंगे.
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आमरण अनशन पर बैठे डॉ ओमशंकर
आमरण अनशन पर बैठे BHU अस्पताल के हृदयरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ओमशंकर ने बताया कि, 'जहां आईएमएस को एम्स जैसा दर्जा मिला, वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को "इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस" के तौर पर विकसित करने के लिए बजट/धनराशि भी मिली. लेकिन दुःख की बात यह है कि संस्थान के विकास के लिए दिए गए धन का सदुपयोग मरीजों की सुविधाओं को बढ़ाने की बजाय उसका दुरुपयोग यहां के अधिकारियों द्वारा अपनी समृद्धि हासिल में किया जा रहा है. विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता आज चरम पर है. कुलपति की अक्षमता का आलम यह है कि वो अपने 2 सालों से ज्यादा के कार्यकाल में अबतक विश्व विद्यालय को चलाने के लिए अति आवश्यक "एक्जीक्यूटिव काउंसिल" तक का गठन नहीं कर पाए.'
लगाए कई बड़े आरोप
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि, 'नियमों की धज्जियां उड़ाकर चुनाव आचार संहिता के दौरान भी नियुक्तियां कर रहे हैं जो कि एक प्रशासनिक अपराध है. कुलपति न सिर्फ खुद इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के नाम पर मिले धन का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि विश्व विद्यालय के वो अधिकारी जो भ्रष्टाचार में शामिल हैं. उनको खुलेआम संरक्षण भी दे रहे हैं. वो महामना काल के कई पेड़ों को काटकर रोज बेच रहे हैं. मतलब विश्व विद्यालय को मजबूत करने की बजाय कुलपति जी ने अपने दो सालों से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान विश्व विद्यालय नीव को दीमक की तरह कमजोर करने की कोशिश की है.'
ब्लड बैंक पर कब्जा का आरोप
डॉ ओमशंकर ने आरोप लगाया कि, 'आज इस विश्व विद्यालय में कुलपति जी के सबसे अजीज और करीबी अधिकारी हैं. आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे और सत्यापित अपराधी, सर सुंदर लाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो के के गुप्ता है. महोदय सबसे पहले बिना किसी सक्षम अधिकारी की संस्तुति के खुद को ब्लड बैंक का जबरन इंचार्ज घोषित कर उसपर अपना अवैध कब्जा कर लिए थें. बीएचयू जैसे सम्मानित संस्थान में स्वघोषित ब्लड बैंक इंचार्ज बनकर बिना आधिकारिक मान्यता के ब्लड बैंक को सालों तक संचालित करते रहे. ब्लड बैंक की मान्यता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर के नामों का दुरुपयोग, वो भी बिना उनकी अनुमति के. ज्ञात हो कि ये मेडिसिन के प्रोफेसर है जबकि ब्लड बैंक का इंचार्ज सिर्फ पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर हीं बन सकते हैं. आज भी ये SSH स्थित जांच घर के ऊपर अपना अवैध कब्जा जमा रखा है.'
इनके ऊपर आईआईटी के बच्चों द्वारा दान दिए गए ब्लड को चुराकर बेचने का 2016- 17 में जब आरोप लगा तो तत्कालीन कुलपति द्वारा इनको पहले चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटा दिया गया और फिर ब्लड बैंक इंचार्ज रहते हुए इनके द्वारा की गई सभी अनियमितताओं की जांच के लिए एक कमिटी गठित कर दी. जांच समिति ने जांच में इनको गुनहगार पाया और इनके विरूद्ध कारवाई की अनुशंसा की जिसके तहत इनको ब्लड बैंक इंचार्ज के पद से भी हटा दिया गया. इसके बाद इनको नौकरी से बर्खास्त कर जेल भेजा जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
चिकित्सा अधीक्षक ने कही ये बात
वहीं अनशनरत डॉ ओमशंकर के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि, 'उन्होंने नियमानुसार अब तक सारी कार्रवाई की है और जहां तक भ्रष्टाचार की बात है तो अगर ऐसी कोई बात होती तो कई कुलपति BHU में आए और गए, अब तक उनके ऊपर कार्रवाई हो चुकी रहती. वे डॉ उमाशंकर के आंदोलन को पब्लिक स्टंट और राजनीति से प्रेरित बता रहें हैं. उन्होंने बताया कि जहां तक बेड की बात है तो हृदय रोग विभाग में पर्याप्त बेड और और रिकार्ड के मुताबिक जितने बेड दिए भी गए उनमें 70 प्रतिशत की ही ऑक्यूपेंसी हो पाई थी. अगर बेड मिल भी जाता है तो संसाधन और डॉक्टर कहां से लाएंगे. उन्होंने बताया कि आमरण अनशन कर रहें डॉ के कृत्य से न केवल विवि और BHU अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि उनपर भी पर्सनल अटैक किया जा रहा है. अगर उनके साथ किसी तरह की कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए डॉ ओमशंकर जिम्मेदार होंगे. क्योंकि लगातार उनका पीछा और उनके घर के बाहर संदिग्ध लोगों की गतिविधि बढ गई है.'
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