वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की गूंज अब तीनों कोर्ट में सुनाई पड़ेगी. सुप्रीम कोर्ट और वाराणसी की अदालत में इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी. वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इस मामले की सुनवाई शुक्रवार, 20 मई को होगी.
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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हन की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगी तो वहीं काशी यानी वाराणसी कोर्ट में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर भी मंगलवार को ही कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई करेंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ शुक्रवार को विस्तार से इस मामले की पेचीदा दलीलें सुनेगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ज्ञानवापी मामले में सुनवाई 20 मई तक स्थगित की.
कोर्ट में विश्वेश्वर महादेव की और से दाखिल याचिका पर याचिकाकर्ता के अंतरंग सखा के रूप में वकील विजय शंकर रस्तोगी ने एकल जज पीठ में जस्टिस प्रकाश पाडिया को बताया कि इस मामले में ना तो 1991 का उपासना स्थल कानून लागू होता है और ना ही दूसरे पक्षकारों का कोई दावा सिर्फ इस वजह से बनता है कि वो वहां पर नमाज अदा करते रहे हैं. किसी मंदिर या किसी की निजी संपत्ति में नमाज अदा करने का ये मतलब कतई नहीं है कि उस जगह का चरित्र या प्रकृति बदल गई है.
वकील विजय शंकर रस्तोगी ने आगे कहा, “ये सदियों से बाबा विश्वेश्वर का मंदिर यानी उनका स्थान रहा है. अनादिकाल से ये पूरा अतिशय क्षेत्र और संपदा विश्वेश्वर भगवान की ही है. विदेशी आक्रांताओं ने इस पर कई बार हमले किए. अकूत संपदा लूट ली. सबसे आखिरी बार 17 वीं सदी में औरंगजेब के काल में इसे तोड़ने का फरमान इतिहास में दर्ज है. इसके ऊपरी हिस्से को तोड़कर अंदर रखी मूर्तियों को छिपाकर इसे मस्जिद का स्वरूप देने की पुष्टि भी ऐतिहासिक दस्तावेजों में है. इसके शिखर तोड़कर भगवान विश्वेश्वर के ज्योतिर्लिंग को ज्ञानवापी यानी सीढ़ीदार कुएं में डाल दिया गया. उसी सरोवर के मौजूदा स्वरूप में विश्वेश्वर के होने की पुष्टि हो गई है.”
कोर्ट ने रस्तोगी की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई 20 मई, शुक्रवार दोपहर तक टाल दी. जस्टिस पाडिया ने कहा कि वो इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों को तसल्ली से सुनना चाहते हैं. लेकिन आज अन्य कई महत्वपूर्ण मामले सामने होने की वजह से इसे विस्तार से सुनना मुमकिन नहीं है. लिहाजा शुक्रवार दोपहर 12 बजे इसकी सुनवाई तय कर दी.
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