69000 Teacher Recruitment News: यूपी के बहुचर्चित 69 हजार शिक्षक भर्ती मामला एक बार फिर सियासी बवाल का रूप लेता नजर आया है. असल में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नयी चयन सूची तैयार करने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी, जिनमें 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे. अब इस मामले पर बीजेपी के गठबंधन एनडीए की सहयोगी अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है.
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अनुप्रिया पटेल ने ऐसा रिएक्शन दिया है, जो यूपी की उनकी सहयोगी योगी आदित्यनाथ की सरकार पर ही एक तरह तरह से दबाव बनाने जैसा है. अनुप्रिया पटेल ने इस मामले में ओबीसी अभ्यर्थियों का पक्ष लेते हुए योगी सरकार से खास मांग कर दी है. आइए आपको बताते हैं कि अनुप्रिया पटेल ने क्या कहा है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अनुप्रिया पटेल ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए. अनुप्रिया पटेल ने लिखा, '69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर अस्थाई रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है तथा अगली सुनवाई में दोनों पक्षों से मामले के संबंध में अपनी अपनी दलील पेश करने के लिए कहा है. जहां तक अपना दल (एस) का सवाल है तो पार्टी इस मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ मज़बूती के साथ खड़ी है.'
वह आगे लिखती हैं, 'हमारी पार्टी का प्रारंभ से मानना है कि 69000 भर्ती के मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है, जिसकी पुष्टि माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नई सूची जारी करने का आदेश दे कर की थी. हम अब भी इस मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ खड़े हैं. हम न सिर्फ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की हक की लड़ाई पहले की तरह जारी रखेंगे, बल्कि वादे के मुताबिक इस मामले को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए हर संभव कानूनी मदद देना भी जारी रखेंगे.'
अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार से की ये मांग
अनुप्रिया पटेल ने एक्स पर लिखा, 'हमारी पार्टी का स्पष्ट मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार को अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए. क़ानूनी प्रक्रिया से अलग उत्तर प्रदेश सरकार को राजनीतिक रूप से तमाम उपलब्ध विकल्पों में से सब को स्वीकार्य एक ऐसा विकल्प लागू करना चाहिए जिससे किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो. और हां, 69000 शिक्षक भर्ती में अन्याय का शिकार हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी निराश न हों. इस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विस्तृत अध्ययन के लिए सिर्फ़ अस्थाई रोक लगाया है.'
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त में राज्य सरकार को 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट बेंच ने महेंद्र पाल और अन्य द्वारा दायर 90 विशेष अपीलों का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया था, जो पिछले वर्ष 13 मार्च को एकल-न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दे रहे थे. अब हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगी. साथ ही, न्यायालय ने संबंधित पक्षों के वकीलों से कहा कि वे अधिकतम सात पृष्ठों के संक्षिप्त लिखित ‘नोट’ दाखिल करें.
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