Uttar Pradesh News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्ट (भाजपा) ने दलित वोट बैंक पर निशाना साधने के लिए ‘मास्टर प्लान’ तैयार कर लिया है. यूपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वोट बैंक माने जाने वाले दलित वोटों में पिछले दो चुनावों में सेंधमारी कर चुकी भाजपा अब दलित वोटों को अपने पाले के बनाए रखना चाहती है. इसके लिए पार्टी के अनुसूचित वर्ग सम्मेलनों की शृंखला आज यानी मंगलवार 17 अक्तूबर से शुरू हो रही है. पहला सम्मेलन पश्चिम क्षेत्र के हापुड़ में है, जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी संबोधित करेंगे. सभी 6 क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के सम्मेलन होंगे, जिनमें बीजेपी के अनुसूचित वर्ग के नेता, सांसद, मंत्री और विधायक शामिल होंगे. माना जा रहा है कि केंद्र से शीर्ष नेता भी इन सम्मेलनों में कुछ के शामिल हो सकते हैं.
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सभी क्षेत्रों में सम्मेलन, दलित छात्रों और कामकाजी वर्ग से सम्पर्क :
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी रणनीतिकारों ने दलित वोटरों को साधने के लिए सम्मेलनों की योजना तैयार की है. 17 अक्तूबर को अनुसूचित वर्ग सम्मेलनों की शुरूआत हो रही है. मंगलवार 17 अक्तूबर को हापुड़ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अनुसूचित जाति सम्मेलनों की शुरुआत करेंगे. पश्चिमी यूपी से अपने प्रचार अभियानों की शुरुआत करने वाली भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के सम्मेलन में मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी शामिल रहेंगे. इसके बाद 19 अक्तूबर को ब्रज क्षेत्र का सम्मेलन अलीगढ़ में होगा, जबकि 28 अक्तूबर को कानपुर में बुंदेलखंड क्षेत्र का सम्मेलन होगा. 30 अक्तूबर को काशी क्षेत्र का सम्मेलन प्रयागराज में, 2 नवंबर को अवध क्षेत्र का सम्मेलन लखनऊ में और 3 नवंबर को गोरक्ष क्षेत्र का अनुसूचित वर्ग सम्मेलन गोरखपुर में होगा.
इन सम्मेलनों में बीजेपी के दलित सांसद, मंत्री, विधायक खास तौर पर शामिल होंगे. भाजपा ने अपने सभी दलित मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को इन सम्मेलनों में मौजूद रहने के लिए कहा है.
अपने दलित चेहरों को आगे करेगी भाजपा
वैसे तो भाजपा के शीर्ष नेता और मुख्यमंत्री इन सम्मेलनों को संबोधित करने वाले हैं, लेकिन पार्टी में खास तौर पर अपने दलित चेहरों को आगे करने की रणनीति बनाई है. इसके लिए अनुसूचित वर्ग के नेताओं की टीम बनाई गई है. सांसद बृजलाल, एमएलसी लालजी निर्मल को भी जिम्मेदारी दी गई है. कभी मायावती के टीम के सदस्य रहे और अब भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जुगल किशोर को भी सम्मेलनों के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि समन्वय की जिम्मेदारी अवध प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर को दी गई है. योगी सरकार में दलित मंत्रियों को भी इन सम्मेलनों को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. मंत्री बेबी रानी मौर्य, असीम अरूण, गुलाब देवी जैसे मंत्री इन सम्मेलनों के लिए सक्रिय होंगे. अनुसूचित जाति मोर्चे को इन सम्मेलनों की जिम्मेदारी दी गई है. अनुसूचित जाति मोर्चे के अध्यक्ष रामचंद्र कन्नौजिया लगातार तैयारियों के लिए बैठक कर चुके हैं.
दरअसल, भाजपा की ये रणनीति है कि अनुसूचित वर्ग में इस बात का संदेश दिया जाए कि पार्टी में ही इस वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाया है. इन सम्मेलनों में खास तौर पर इस बात पर जोर रहेगा कि मोदी और योगी सरकार की योजनाओं से अनुसूचित वर्ग को लाभ मिले. सम्मेलनों में खास तौर पर अनुसूचित जाति के प्रोफेशनल्स को आमंत्रित किया जाएगा. इसके बाद नवंबर महीने में पार्टी ‘भीम सम्मेलन’ भी आयोजित करेगी. अनुसूचित वर्ग सम्मेलन 6 क्षेत्रों में किया जाएगा, वहीं भीम सम्मेलन विधानसभावार होंगे. इनमें विशेष कर जाटव बस्तियों में फोकस किया जाएगा और युवा वर्ग से सम्पर्क और संवाद किया जाएगा. इसके अलावा दलित युवाओं को जोड़ने के लिए नमो मित्र का प्लान भी तैयार किया गया है. जजाहिर है बिजेपी का प्लान बसपा अध्यक्ष मायावती के वोट बैंक को साधने को लेकर है, जबकि दलित बस्तियों में सम्पर्क के लिए बस्ती सम्पर्क अभियान पार्टी पहले ही शुरू कर चुकी है.
बसपा के वोट बैंक पर नजर:
लोकसभा चुनाव से पहले मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने खास रणनीति पर काम करना शुरू किया है. दलित बहुजन समाज पार्टी का कोर वोट रहा है, जबकि अब बसपा का ये वोट लगातार घट रहा है. पिछले दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीजेपी ने खास तौर पर इसमें सेंधमारी में सफलता हासिल की है. अब भाजपा की कोशिश इसे बरकरार रखने की है. बीजेपी इस बात का दावा भी करती रही है कि योजनाओं का लाभ सबसे ज्यादा इसी वर्ग को मिला है. ऐसे में ये संदेश देना भी पार्टी की एक रणनीति है.
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