सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता बहाल करने की अधिसूचना लोकसभा स्पीकर के द्वारा जारी कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अफजाल अंसारी को कुछ शर्तों के साथ उनकी संसद सदस्यता की बहाली का आदेश दिया था. लोकसभा के स्पीकर द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अफजाल अंसारी की संसद की डिबेट में भाग लेकर मतदान नहीं कर सकते हैं. मगर इस अधिसूचना के बाद अब अफजाल अंसारी के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है और अफजाल अंसारी अब चुनावी मोड में भी आ गए हैं. बता दें कि अफजाल अंसारी को गैंगेस्टर के एक मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से 4 साल की सजा हुई थी और उनको जेल भेज दिया गया था और उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी.
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संसद सदस्यता बहाल होने के बाद अफजाल अंसारी ने कहा, “साल 2019 के बाद एक दिन भी सरकार ने चैन की रोटी खाने नहीं दिया. जनता का अभूतपूर्व समर्थन और ऊपर वाले की कृपा है कि मैं जीवित हूं. मेरी जगह कोई दूसरा होता तो हतोत्साहित होकर प्राण त्याग देता. मैं दूसरी मिट्टी का बना हूं, अत्याचार और जुल्म के बल पर मुझे हराया नहीं जा सकता. अब मैं चुनाव लड़ने के योग्य हो चुका हूं और चुनाव लड़ने की इच्छा भी है.”
उन्होंने कहा, “मैं 10 चुनाव लड़ चुका हूं. सपा से 2004 में और 2019 में सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़ चुका हूं. अब कौन लड़ने आएगा? अगर आमने-सामने मनोज सिन्हा से लड़ाई हुई तो वो गणना कराने नहीं आएंगे. साल 2019 के बाद चुनाव के बाद जो घटनाक्रम है, जनता सब देख रही है. मैं षड्यंत्र किया गया हूं. मेरे पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं. मेरा हौसला तोड़ने के लिए हर तरह से बर्बाद किया गया. मेरी खड़ी फसलों को बर्बाद किया गया. परिवार के सदस्यों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया.”
बसपा सांसद ने कहा,
“हमारे विरुद्ध एक ऐसे मुकदमे में जिसमें मूल मुकदमे में मुझे बरी कर दिया गया था और गैंगेस्टर मामले में सजा दिया गया है. मेरे 4 साल की सजा का फैसला एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा था पर वो अंतिम सत्य नहीं था. सजा हुई, मैं जेल गया और लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया और चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया. जब हम अपील में गए तो उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की बात सुनकर मुझे जमानत दे दी है, पर उच्च न्यायालय ने सजा निलंबित नहीं किया. उसकी अपील मैंने सर्वोच्च न्यायालय में की. सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ सजा के आदेश को निलंबित किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अब मैं चुनाव लड़ने के अयोग्य नहीं हूं.”
उन्होंने कहा, “आगामी 11 जनवरी को लोकसभा के स्पीकर ने अधिसूचना जारी करके अब मेरी संसद सदस्यता सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार शर्तों के साथ बहाल कर दी है और अब मैं चुनाव लड़ने के योग्य हूं, पर शर्तों के अनुसार मैं सदन की डिबेट में शमिल होकर मतदान नहीं कर सकता.”
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