उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को ऐतिहासिक बनाने के लिए जहां सरकार एक तरफ जोर-शोर से तैयारी कर रही है और 13 देशों से ज्यादा उद्योगपति राजधानी लखनऊ में हजारों करोड़ के एमओयू साइन करेंगे, तो वहीं चर्चा इस बात की भी है कि आखिर उत्तर प्रदेश में अभी तक कितना बदलाव हुआ है और कितना निवेश उत्तर प्रदेश को पिछले 5 सालों में मिल सका है?
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सरकार इस बार पिछले निवेश से 5 गुना ज्यादा निवेश लाने की तैयारी में है, तो वहीं सरकार प्रदेश में निवेश की संभावनाओं को लेकर विदेश सहित देशभर के महानगरों में रोड शो कर निवेशकों को आकर्षित कर चुकी है.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले 17 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने के अपने लक्ष्य को तोड़ते हुए अब राज्य सरकार ने अब तक लगभग 21 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं. यूपी सरकार ने कथित तौर पर विदेशी और घरेलू कंपनियों के साथ 14,000 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो लागू होने पर 2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं.
यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन 10 से 12 फरवरी तक होना है, जिसमें 13 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जिसमें औद्यौगिक मंत्रियों/सचिवों को निमंत्रण भेजा गया है. इसके अलावा सभी केंद्रीय मंत्रियों को भी न्योता भेजा गया. जिन देशों के औद्योगिक विकास मंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया, उनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जापान, जर्मनी, थाईलैंड, मैक्सिको, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नीदरलैंड, बेल्जियम, कनाडा एवं अर्जेंटीना शामिल हैं.
वहीं प्रदेश में 304 विदेशी कंपनियों को लाने की तैयारी है जिनसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ औ अन्य मंत्री खुद निवेश के लिए रोडशो कर चुके हैं. इनमें निवेश करने वाली प्रमुख कंपनियों में गूगल, एप्पल, रोल्स रॉयस, सुजकी, वालमार्ट, अमेजॉन, जॉनसन एंड जॉनसन, फाइजर, मर्क, मर्सिडीज, लॉरेल व फिलिप्स हैं जिनसे चार लाख करोड़ रुपये की विदेशी निवेश का लक्ष्य है और विदेशी निवेश के लिए 20 सेक्टरों की निवेश नीतियां बनाई गई हैं.
माना जा रहा है कि लगभग 12,000 निवेशक हैं जिन्होंने 50 हजार करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं. वहीं यूपी सरकार ने कथित तौर पर विदेशी और घरेलू कंपनियों के साथ 14,000 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो लागू होने पर 2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर सकते हैं.
इसके अलावा एक हजार से अधिक उद्यमियों ने 50 करोड़ रुपये से 200 करोड़ रुपये के बीच निवेश करने के लिए समझौता ज्ञापनों का प्रस्ताव या हस्ताक्षर किया है. इन उद्योगपतियों द्वारा राज्य में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किए जाने की संभावना है, जिससे 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
दूसरी तरफ 200 करोड़ से 500 करोड़ रुपये के बीच निवेश करने वाले व्यवसायियों की संख्या 400 से अधिक है. वे राज्य में 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाएंगे, जबकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 4.5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर बनने के आसार हैं.
इस मुद्दे पर बात करते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूपी इन्वेस्टर समिट में लक्ष्य से ज्यादा निवेश आएगा. करोड़ों रुपये के रोजगार अवसर होंगे. प्रदेश में निवेश का माहौल बदला है और उद्योगपति राज्य में आने के लिए आतुर हैं. सरकार अब तक के सबसे बड़े निवेश का राज्य में ला रही है.
2018 इन्वेस्टर समिट में 4.28 लाख करोड़ का निवेश
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2017 में अस्तित्व में आने के बाद फरवरी 2018 में पहली बार बड़े पैमाने पर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया. इसमें 4.28 हजार करोड़ के तमाम बड़ी कंपनियों की तरफ से विकास को लेकर एमओयू साइन किए गए.
प्रदेश सरकार के मुताबिक, अबतक राज्य में इन्वेस्टर्स समिट के निवेश की 43 फीसदी परियोजनाएं धरातल पर उतरने को तैयार हैं. यही नहीं, 48707.49 करोड़ के 156 परियोजनाएं कार्यान्वित हो चुकी हैं, जबकि 63, 955 करोड़ की 174 परियोजनाएं प्रक्रिया में है.
वहीं दूसरी तरफ 86261.90 करोड़ रुपये की 429 परियोजनाओं को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा चुकी हैं और निवेशक परियोजना शुरू करने की तैयारी में हैं. इससे कुल 1,98, 924 करोड़ से अधिक की 759 परियोजनाओं पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से उद्यमियों को अपने उद्योग लगाने के लिए करीब 740 एकड़ भूमि दी गई है, जिसमें 1097 भूखंड दिए गए.
वहीं निवेशकों सहूलियत दिलाने के मकसद से सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम की बात कही थी. सरकार के मुताबिक इन उद्यमियों को भूखंडों के आवंटन में पूरी पारदर्शिता अपनाई गई और उद्योगपतियों का सारा काम ऑनलाइन ही पूरा हुआ. भूखंड आवंटन या अन्य किसी काम के लिए विभागों के इधर-उधर चक्कर नहीं लगाने पड़े जिसे सरकार सिंगल विंडो सिस्टम के तौर पर बताती है.
वहीं रोजगार के तौर पर देखें तो इन्वेस्टर्स समिट में 4.28 लाख करोड़ निवेश करने को लेकर बड़ी कंपनियों की तरफ से बात हुई, तब सरकार ने प्रदेश में 35 लाख रोजगार युवाओं को देने की बात कही थी. करीब 4 साल बाद प्रदेश में 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश धरातल पर उतरने के दावे सरकार ने किए हैं. ऐसी स्थिति में अब तक करीब 2 करोड़ युवाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन छोटी बड़ी कंपनियों में रोजगार मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है.
वहीं कोविड-19 के संकट काल में भी बड़े पैमाने पर निवेशक उत्तर प्रदेश आए और करीब 45 हजार करोड़ रुपये के नए निवेश के प्रस्ताव सरकार को मिले जिसमें 4 साल की सरकार में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के भारी निवेश प्रस्तावों पर काम शुरू हो गया है, जिनमें 750 परियोजनाओं पर काम चल रहा है.
गौर करने वाली बात है कि इसमें जापान, यूके, यूएसए, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण कोरिया के साथ 10 देशों से की कंपनियों ने 45 हजार करोड़ का निवेश किया है.
अगर कुछ बड़े निवेशक को पर नजर डालें तो हीरानंदानी ग्रुप में नोएडा में डाटा सेंटर में 750 करोड़, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड में फूड प्रोसेसिंग यूनिट में 300 करोड़, एसोसिएट ब्रिटिश फूड कंपनी एबी मौरी ने खमीर मैन्युफैक्चरिंग में 750 करोड़ का में निवेश, डिक्शन टेक्नोलॉजी ने कज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में 200 करोड़, वान वेलेक्स फुटवियर में 300 करोड़ का निवेश, सूर्या ग्लोबल यूपीपी डीओपीटी प्रोडक्शन प्लांट में 953 करोड़ का निवेश, मैक सॉफ्टवेयर यूएस ने 200 करोड़, एकेंग्रटा इन कनाडा ने खाद्य इकाई में 750 करोड़ और याजाकी जापान में 2000 को निवेश की परियोजनाएं शामिल है.
देखा जाए तो सरकार ने आंकड़ों के लिहाज से इस बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 2018 के मुकाबले 5 गुना अधिक निवेश लाने का दावा किया है और उसको लेकर लंबे समय से सरकार का पूरा महकमा तैयारी कर रहा था.
21 लाख करोड़ के निवेश के साथ योगी सरकार का दावा है कि वह 3 ट्रिलियन इकोनामी में भागीदारी देते हुए उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश लाने जा रही है. वहीं, इस ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बाद योगी सरकार अपना बजट भी लाने जा रही है जिसमें आने वाले समय में निवेश को लेकर के बड़े बदलाव भी देखे जा सकते हैं.
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