Dhananjay Singh News: अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार दिए जाने के एक दिन बाद यानी 6 मार्च को बाहुबली पूर्व सांसद और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह को अदालत ने सजा सुना दी. आपको बता दें कि अदालत ने धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई है और साथ ही उनपर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. बता दें कि धनंजय सिंह को 2 साल से ज्यादा की सजा मिली है, ऐसे में वह अब आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
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क्या कहता है जन प्रतिनिधि कानून?
जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक वह चुनाव भी नहीं लड़ सकता है. मालूम हो कि धनंजय सिंह पूर्व सांसद थे, ऐसे में 2 साल से ज्यादा की अब उन्हें सजा मिल गई है और उनका अब चुनाव लड़ना भी मुश्किल हो गया है.
क्या है मामला, जिसमें धनंजय सिंह को हुई है सजा?
जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पांडेय ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को जौनपुर के लाइनबाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि विक्रम ने अपने दो साथियों के साथ पहले उनका अपहरण किया और फिर उन्हें पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास पर ले गया. उन्होंने बताया कि सिंघल ने आरोप लगाया था कि वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए धमकी देने के बाद रंगदारी मांगी.
पांडेय ने बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह गिरफ्तार भी हुए थे. बाद में उन्होंने उच्च न्यायालय इलाहाबाद से जमानत हासिल की थी. उन्होंने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम को दोषी करार दिया है.
इस बार जौनपुर से थी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी
धनंजय ने वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। वह वर्ष 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. धनंजय ने इस बार भी जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया था. उन्होंने दो मार्च को 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में कहा था, "साथियों! तैयार रहिए...लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर."
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