…माना जाएगा कि अखिलेश ने रामचरितमानस पर स्वामी मौर्य से बयान दिलवाया है: डिप्टी CM केशव

यूपी तक

• 11:46 AM • 24 Jan 2023

समाजवादी पार्टी के नेता और MLC स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस के बयान पर यूपी में राजनीति तेज हो गई है. प्रदेश…

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समाजवादी पार्टी के नेता और MLC स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस के बयान पर यूपी में राजनीति तेज हो गई है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला है.

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केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम तुष्टीकरण की घटिया राजनीति कर रही है. हिन्दू भावनाओं से सपा खिलवाड़ कर रही है.

केशव मौर्य ने स्वामी मौर्य का बिना नाम लिए कहा कि नए नवेले नेता जो कई घाटों का पानी पी चुके हैं, उनसे रामचरितमानस पर बयान दिलवाए जा रहे हैं. अखिलेश यादव की चुप्पी क्यों? अखिलेश यादव ने इसका विरोध क्यों नहीं किया?

उन्होंने कहा कि बिहार में जो लालू की पार्टी कर रही है, वही काम अखिलेश यादव द्वारा किया जा रहा है.

केशव मौर्य ने यह भी कहा कि अगर अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से सहमत नहीं है तो उन्हें तत्काल पार्टी से बर्खास्त करें, अन्यथा माना जाएगा कि अखिलेश यादव ने रामचरितमानस पर ये बयान दिलवाया है.

गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कहा था, ”रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है. यह ‘अधर्म’ है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है.”

मौर्य ने कहा था, ‘रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.”

उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को यूपीतक से बात करते हुए कहा था कि कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं. रामचरितमानस में एक चौपाई लिखी है, जिसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.

उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो.

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