2024 लोकसभा चुनाव से पहले UP में एक्टिव हुआ RSS, दलित वोट साधने पर बनाई ये योजना

शिल्पी सेन

• 05:14 AM • 10 Jun 2023

UP Political News: हर वर्ग और जाति के बीच जन जागरण के मुद्दों को लेकर पहुंचने का दावा करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब…

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UP Political News: हर वर्ग और जाति के बीच जन जागरण के मुद्दों को लेकर पहुंचने का दावा करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब अपने ‘समरसता कार्यक्रम’ को और तेज करेगा. इसके लिए खास तौर पर दलित बस्तियों और उन आदिवासी इलाकों का चयन किया जा रहा है जहां अभी तक संघ की पहुंच कम रही है. साथ ही उन जातियों को साथ लाने की भी तैयारी है, जिनके बीच अब तक कम काम हो पाया है. कुछ समय से संघ ‘सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी ‘ अभियान को लेकर काम करता रहा है. पर संघ के शताब्दी वर्ष में अब इसमें और तेजी लाने की पहल शुरू हो गई है. इस समय संघ शिक्षा वर्ग (OTC) के जरिए पूर्वी यूपी के ढाई हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को विस्तारक बनाया जा रहा है. सामने लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये बेहद महत्वपूर्ण है.

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जल्द ही तैयार होगी संघ के विस्तारकों की नई खेप

पूर्वी उत्तर प्रदेश में चल रहे पांच संघ शिक्षा वर्गों का समापन इसी सप्ताह अलग-अलग तारीखों पर हो रहा है. इसमें तैयार विस्तारकों के जिम्मे इस बार एक अहम काम होगा. अनुसूचित जाति और आदिवासी बस्तियों में संघ के ये विस्तारक पहुंचेंगे और वहां जन जागरण करेंगे. ‘संघ को जानो’ अभियान में संघ के सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी अभियान को इन जातियों के बीच पहुंचाने की जिम्मेदारी इन विस्तारकों की होगी. संघ के शताब्दी वर्ष के लिए जो कार्यक्रम तय लिए गए हैं. ये उनका एक हिस्सा है. चुनावी साल में संघ की ये पहल काफी अहम है.

संघ की योजना के अनुसार, संघ हर न्याय पंचायत में पहुंचने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसका उद्देश्य है संघ कि मौजूदगी हर जगह हो. जहां शाखा आयोजित की जा सके वहां की जाए. जहां ये सम्भव न हो वहां भी हर न्याय पंचायत में एक विस्तारक संघ के विचार को रखने वाला हो. जानकारी के अनुसार, इसको और माइक्रो लेवल पर करने की पहल शुरू की गई है. इसकी वजह ये है कि संघ उन जातियों तक पहुंचना चाहता है जहां अभी अपेक्षाकृत कम पहुंच बन पाई है. अनुसूचित जाति विशेषकर जाटव वर्ग में संघ के इस अभियान का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अलावा अन्य अनुसूचित जातियों पासी, वाल्मीकि, धोबी और अन्य जातियों तक पहुंचने की भी योजना है. यही नहीं उत्तर प्रदेश में आदिवासी और वंचित समाज खास तौर पर थारु, कोल, मुसहर, वनटांगिया समुदाय के बीच संघ के विस्तारक पहुंचेंगे.

देश के सबसे बड़े प्रदेश के ज़्यादातर हिस्से को कवर करने वाले पूर्वी क्षेत्र (अवध, कानपुर, काशी, गोरक्ष क्षेत्र) की अगर बात की जाए तो इस सप्ताह करीब 2500 विस्तारक संघ को मिलेंगे. हर क्षेत्र में संघ शिक्षा वर्ग (OTC) प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण इसी सप्ताह समाप्त होगा. वहीं द्वितीय वर्ष को दो भागों में आयोजित कर विस्तारकों बनाए जा रहे हैं. अवध क्षेत्र के बाराबंकी के रामसनेही घाट में ओटीसी प्रथम वर्ष, काशी क्षेत्र के बाबतपुर में प्रथम वर्ष, गोरक्ष क्षेत्र के आजमगढ़ में प्रथम वर्ष और कानपुर क्षेत्र में प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण इसी सप्ताह समाप्त हो रहा है.

इसके साथ ही सुल्तानपुर में दो प्रशिक्षण अलग अलग रखा गया है. युवा स्वयंसेवकों के लिए अलग से प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 वर्ष से कम के स्वयंसेवकों को द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण (विशेष वर्ग) दिया जा रहा है तो वहीं 40 से 65 वर्ष आयु वर्ग के लिए अलग से प्रशिक्षण कर विस्तारक तैयार लिए जा रहे हैं. यानी सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस सप्ताह के बाद 2500 (ढाई हजार) विस्तारक संघ की उसी विशेष जन जागरण योजना को जमीन पर उतारने के लिए काम करेंगे जो इसी वर्ष संघ की योजना अनुसार काम करेंगे.

सामाजिक समरसया कार्यक्रम के जरिए अनुसूचित जाति/आदिवासी बस्तियों तक पहुंचने की पहल

जानकारी के अनुसार यूपी में विशेष रूप में चिह्नित अनुसूचित जाति की बस्तियों में और नेपाल से सटे प्रदेश के बॉर्डर, मिर्जापुर और तराई इलाक के उन जिलों में भी समरसता अभियान को तेज किया जाएगा. हालांकि मकर संक्रांति या अन्य कई अवसरों पर संघ समरसता के कार्यक्रम(सहभोज) आदि करता रहा है. पर चुनाव साल होने की वजह से संघ के इस समरसता कार्यक्रम को लेकर चर्चा है.

यूपी में बीजेपी के मिशन 80 के लक्ष्य को देखते हुए ये अहम है. वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा कहते हैं, ‘अब उत्तर प्रदेश में दलित वोट मायावती के कमजोर होने की स्थिति में कहीं और जा सकता है. बीजेपी ने पिछले चुनाव में दलित वोटों को अपने लिए ‘मैनेज’ किया था. इस चुनाव में बीजेपी को इन वोटों का लाभ मिल सकता है. सिर्फ जाटव वोट अभी मायावती के साथ रहेंगे लेकिन अनुसूचित जाति के अन्य वोट बीजेपी के साथ आ सकते हैं. दरअसल यही वो वर्ग (अनुसूचित जाति) भी है जिसको योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ हुआ है. ऐसे में चुनाव से पहले अगर संघ उनके पास जाता है तो बीजेपी के पक्ष में एक मोटिवेटर के तौर पर काम करेगा.’

अनवरत चलता रहता है संघ का सेवा और सम्पर्क अभियान

हालांकि संघ के दायित्व धारी कहते हैं कि ये रूटीन काम है और इसको चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. पर साथ ही ये भी मानते हैं कि जिस तरह से संघ के अभियान बढ़े हैं अब आगे ज्यादा बड़ी संख्या में विस्तारकों की जरूरत होगी. विद्याभारती, एकल विद्यालय, सेवा भारती जैसे संघ के अंग अलग अलग अपने लक्ष्यों को लेकर काम करते हैं. सामाजिक समरसता विभाग के अवध प्रांत के प्रमुख राजेंद्र इनकार करते हैं कि चुनाव से इसका कोई सम्बंध है. वो कहते हैं कि ‘ये विस्तारक न तो कोई राजनीतिक काम करेंगे न ही राजनीति या चुनाव से इनका कोई सम्बंध है. राजेंद्र कहते हैं कि ‘संघ का जन जागरण का काम अनवरत चलता रहता है. हम उन सभी जाति, मत, पंथ को मानने वाले लोगों के बीच पहुंचते हैं जो भारत को अपनी मां मानते हैं. ऐसे में उन बस्तियों में भी काम करते हैं जहां पहुंचने की जरूरत है.’

 

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