जानें उस पीले लिफाफे की कहानी जिसे अखिलेश खुद लेकर पहुंचे थे DGP ऑफिस, आखिर क्या था उसमें?

आशीष श्रीवास्तव

• 03:37 PM • 11 Jan 2023

पिछले दिनों बीजेपी-सपा के बीच में ट्विटर पर जमकर वाक युद्ध हुआ, जिससे प्रदेश का सियासी तामपान एक बार फिर गरमा गया. दोनों पार्टियों के…

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पिछले दिनों बीजेपी-सपा के बीच में ट्विटर पर जमकर वाक युद्ध हुआ, जिससे प्रदेश का सियासी तामपान एक बार फिर गरमा गया. दोनों पार्टियों के बीच हो रहे ट्विटर वार के दौरान रविवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) खुद लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे.

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इस दौरान अखिलेश यादव के हाथों में एक पीला लिफाफा था. उस पीले लिफाफे में आखिर क्या था? जिसको तत्परता से खुद अखिलेश यादव लेकर पुलिस हेड क्वार्टर पहुंचे थे. आइए जानते हैं.

अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव सहित परिवार के खिलाफ किए गए अभद्र ट्वीट की पूरी लिस्ट और स्क्रीनशॉट को सबूत के तौर पर पीले लिफाफे में लेकर डीजीपी ऑफिस पहुंचे थे. दावा किया जा रहा है कि सबूत देकर उन्होंने डीजीपी से कार्रवाई की मांग की थी.

जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव ने जब अपनी पत्नी और बच्चों के खिलाफ किए गए ट्वीट की शिकायत डीजीपी से की, तब आनन-फानन में लखनऊ के कमिश्नर एसबी शिरोडकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पत्रकारों को यह आश्वासन दिया कि जो भी लोग अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, चाहे वह किसी भी पार्टी के हों, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह साजन के मुताबिक, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सारे सबूत पीले लिफाफे में लेकर डीजीपी के पास पहुंचे थे. वहां उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी डिंपल यादव और परिजनों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. समाजवादी पार्टी ने क्रिया की प्रतिक्रिया दी तो तुरंत कार्रवाई हुई. हमारे कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन पुलिस अगर बीजेपी के कार्यकर्ता की तरह काम करेगी तो फिर न्याय कैसे मिलेगा?

बता दें कि मनीष जगन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति कथित अभद्र टिप्पणी करने के आरोपों में रविवार सुबह लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया था. मनीष जगन अग्रवाल की सोमवार को जमानत मिलने के बाद शाम को जिला कारागार से रिहाई हो गई.

गौरतलब है कि मनीष अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव रविवार को राज्य पुलिस मुख्यालय पहुंच गए थे और उनके साथ सपा के कार्यकर्ता भी अग्रवाल की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर मुख्यालय के बाहर जमा हो गए.

इस दौरान करीब ढाई घंटे तक अफरातफरी की स्थिति रही. रविवार की शाम को अखिलेश यादव अग्रवाल से मिलने लखनऊ जिला कारागार भी गए थे.

भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की उत्तर प्रदेश इकाई की सोशल मीडिया प्रभारी ऋचा राजपूत द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर चार जनवरी को हजरतगंज थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 354 (ए) (यौन उत्पीड़न), 504 (जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

पुलिस को दी गई शिकायत में ऋचा ने सपा मीडिया प्रकोष्ठ के ट्विटर अकाउंट पर की गई कई टिप्पणियों का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि ‘‘समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों ने धमकी दी है कि मेरे साथ बलात्कार किया जाएगा.उन्होंने मुझे जान से मारने की भी धमकी दी है. उन्होंने मेरे खिलाफ अभद्र टिप्पणी भी की है.’’ अग्रवाल इस हैंडल का संचालन करते थे.

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