UP Politics: बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने हाल ही में रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, इसके बाद जमकर हंगामा हुआ था. लेकिन अब समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने साथ ही इस पूरी पुस्तक को बैन करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है.
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को यूपीतक से बातचीत करते हुए कहा था कि धर्म कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का का काम किया गया है, हम उस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं.
UP Samachar: वहीं अब स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर एक तरफ भाजपा ने सपा पर जमकर हमला बोला है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने इस बयान से पिंड छुड़ाने के बजाय फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध ली है. सपा पिछड़ी और दलित समाज की प्रतिक्रिया को देखना भी चाहती है. एक तरफ समाजवादी पार्टी इसे स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी बयान कहकर पल्ला झाड़ रही है लेकिन पार्टी को लग रहा है की इस बयान के दो पहलू हैं, एक इसका धार्मिक पहलू है और दूसरा सामाजिक. समाजवादी पार्टी के भीतर दोनों पहलुओं पर विचार है पार्टी का मानना है कि ऐसे बयान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. वही अंबेडकरवादी जो धड़ा है, उसका मानना है कि अगर दलितों महिलाओं और पिछड़ों के बारे में इस धर्म ग्रंथ में कुछ लिखा गया है तो उस पर बहस होने देना चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं है.
हालांकि समाजवादी पार्टी के विधायक और विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने रामचरितमानस को महान धर्म ग्रंथ बताते हुए इसकी सामाजिक उपयोगिता को बताया है. मनोज पांडे इसलिए इस मुद्दे पर बोलने के लिए सामने आए हैं क्योंकि उनकी और स्वामी प्रसाद मौर्य की सियासी अदावत ऊंचाहार सीट पर किसी से छुपी नहीं है. लेकिन पार्टी के भीतर कोई स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का खंडन करने या रामचरितमानस पर दिए गए बयान की निंदा करने सामने नहीं आया है.
समाजवादी पार्टी चाहती है की रामचरित मानस की चौपाइयों के आधार पर ही बीजेपी को घेरा जाए कि क्या वह पिछड़ों दलितों और महिलाओं पर लिखे गए इस चौपाई को सही मानते हैं ? क्या वो इससे सहमत हैं?
UP News Today: सपा के ज्यादातर पार्टी प्रवक्ताओं ने इस पर चुप्पी साध ली है और सभी को इंतजार है कि अखिलेश यादव इस मुद्दे पर क्या बोलते लेते हैं. सभी का कहना है कि हो सकता है खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष इस मुद्दे पर अपनी बात कहें लेकिन पार्टी के भीतर ये चर्चा जरूर है कि अगर रामचरितमानस में यह चौपाई लिखी है तो फिर क्यों न बीजेपी से पूछा जाए कि क्या वह इन चुनिंदा चौपाइयों से सहमत है. बहरहाल समाजवादी पार्टी के सभी प्रवक्ताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है और कोई अपनी तरफ से एक लाइन भी बोलने को तैयार नहीं है. सबको इंतजार है, अखिलेश यादव की तरफ से इस मुद्दे पर आने वाले संकेत का.
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