आज कल यूपी में एक अजब किस्म की सियासी जंग छिड़ी हुई है. यह जंग है विकास के प्रोजेक्ट्स का क्रेडिट लेने की. एक तरफ यूपी की योगी सरकार आगामी चुनावों को मुहाने पर देख मोदी सरकार के कोऑर्डिनेशन से अपने विकास कार्यों को लेकर रोजाना नए दावे कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव इसमें पलीता लगाने की कोई कसर अपनी ओर से छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं.
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पिछले दिनों पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान भी ऐसी ही सियासी भिड़ंत देखने को मिली, जब अखिलेश यादव ने कहा कि ‘समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे’ उनकी सरकार का प्रोजेक्ट था.
अखिलेश यादव ने सरयू नहर परियोजना को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है. उन्होंने 11 दिसंबर को ट्वीट कर कहा, “एसपी के समय तीन चौथाई बन चुकी ‘सरयू राष्ट्रीय परियोजना’ के शेष बचे काम को पूर्ण करने में यूपी बीजेपी सरकार ने पांच साल लगा दिए. 22 में फिर एसपी का नया युग आएगा… विकास की नहरों से प्रदेश लहलहाएगा!”
11 दिसंबर को बलरामपुर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस सरयू नहर परियोजना का उद्घाटन किया, उसे लेकर सीएम योगी के 9 दिसंबर के ट्वीट में दावा किया गया कि यह परियोजना 4 दशकों से ज्यादा समय से लंबित थी.
अब सवाल यह है कि आखिर दोनों तरफ से चल रहे दावों-प्रतिदावों के बीच सच कहां है? आइए इसे ही समझने की कोशिश करते हैं.
सबसे पहले समझते हैं कि क्या है सरयू नहर परियोजना?
इस सवाल को समझने के लिए हमने सबसे पहले गूगल पर सिंपल सर्च का सहारा लिया. हमने सरयू नहर परियोजना के कीवर्ड्स इंग्लिश में डाले और हमें इससे जुड़े तमाम रिजल्ट मिले. हमें भारत सरकार के केंद्रीय जल आयोग (सेंट्रल वॉटर कमीशन- CWC) की साइट पर अप्रैल 2017 की एक मॉनिटरिंग रिपोर्ट मिली.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे पहले इस परियोजना को घाघरा नदी में आने वाले मॉनसून के सरप्लस पानी को यूपी में सिंचाई के उद्देश्य से इस्तेमाल करने के लक्ष्य से डिजाइन किया गया. 1974 में मूल रूप से राज्य सरकार द्वारा शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का नाम लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल प्रोजेक्ट था. तब इसमें सिर्फ दो जिले बहराइच और गोंडा ही कवर थे. लक्ष्य था 2.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का. बाद में 1980 में इसे पूरा बदला गया और नाम दिया गया सरयू नहर परियोजना का. तब इसमें बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और गोरखपुर यानी यूपी के कुल 9 जिलों को शामिल किया गया. इसमें 5 नदियों को घाघरा, सरयू, राप्ती , बनगंगा और रोहिणी को इंटरलिंक किया गया है.
हमें CWC की वेबसाइट पर ही सरयू नहर परियोजना से जुड़ी और डिटेल मिलीं. साइट पर सरयू नहर परियोजना नाम के टॉपिक पेज पर हमें इस योजना की स्टेप बाइ स्टेप जानकारी मिली. इसके मुताबिक यह प्रोजेक्ट तीन फेजों में पूरा हुआ है. फेज 1 (प्री एक्सिलेरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम AIBP), फेज 2 (एक्सिलेरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम AIBP) और फेज 3 (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना PMSKY- नेशनल प्रोजेक्ट NP).
अब आगे बढ़ने से पहले AIBP को समझ लीजिए. असल में सिंचाई राज्य सूची का विषय है. ऐसे में राज्यों को मेजर सिंचाई प्रोजेक्ट्स में केंद्र के मदद वाले लोन देने के उद्देश्य से 1996-97 AIBP की शुरुआत की गई थी. उसी साल सरयू नहर परियोजना इसमें शामिल कर ली गई. यह 2011-12 तक AIBP के ही अधीन रही. तब फेज 1 और फेज 2 जब पूरा तो भारत सरकार की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 9.31 लाख हेक्टेयर की संभावित सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी थी.
यहीं पर आ जाता है सीएम योगी के दावे को चेक करने का समय
इस प्रोजेक्ट को लेकर सीएम योगी ने दावा किया है यह करीब 4 दशकों से ज्यादा समय से लंबित था. हालांकि भारत सरकार की वेबसाइट पर ही मौजूद जानकारी बता रही है कि 2011-12 तक (नेशनल प्रोजेक्ट में शामिल होने से पहले) इस प्रोजेक्ट के दो मेजर फेज पूरे हो चुके थे.
इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि साल 2012-13 में इसे नेशनल प्रोजेक्ट (NP) में शामिल किया गया. इसमें सरयू सिस्टम के बैलेंस इरिगेशन पोटेंशियल के संग राप्ति सिस्टम के भी 4.73 लाख हेक्टेयर इरिगेशन पोटेंशियल को शामिल किया गया था. इस प्रोजेक्ट को 2015-16 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMSKY) में शामिल किया गया. PMSKY को AIBP जैसी तमाम योजनाओं को मर्ज कर बनाया गया था.
CWC की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी में बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट को दिसंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया था. हालांकि यह दिसंबर 2021 में जाकर पूरा हुआ है. यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि CWC की वेबसाइट पर जहां से जानकारी ली गई है उस पेज को पिछली बार 8 जनवरी 2019 को अपडेट किया गया है.
अब तक केंद्र सरकार की वेबसाइट से हमें जो जानकारी मिली उसके मुताबिक यह परियोजना फेज वाइज चली और हर फेज में एक निश्चित सिंचाई क्षमता हासिल की गई.
अब आते हैं अखिलेश यादव के दावे पर
केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार जहां इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए डबल इंजन की सरकार को क्रेडिट दे रही है, तो अखिलेश अलग ही दावा कर रहे हैं. अखिलेश ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी की सरकार के समय सरयू राष्ट्रीय परियोजना तीन चौथाई बन चुकी थी.
हमें इंटरनेट पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जो सीधे तौर पर अखिलेश के दावे की पुष्टि करती हो या उसे खारिज करती हो. हालांकि केंद्रीय जल आयोग (सेंट्रल वॉटर कमिशन- CWC) की साइट पर अप्रैल 2017 की मॉनिटरिंग रिपोर्ट में कई जगहों पर इस बात जिक्र जरूर है कि प्रदेश सरकार से फंड आवंटन करने को कहा जा रहा है.
इसके साथ ही इसमें प्रोजेक्ट के अलग-अलग हिस्सों के तब के पूरे होने के स्तर की भी जानकारी दी हुई है, लेकिन उस जानकारी में यह स्पष्ट नहीं है कि यह काम अखिलेश सरकार में पूरा हुआ या उनसे भी पहले की सरकारों में. इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर विस्तार से देखा जा सकता है.
हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स भी मिलीं जिनमें अखिलेश यादव के शासनकाल में पेश हुए वित्त वर्ष 2016-17 के बजट को रिपोर्ट किया गया है. जनसत्ता की एक ऐसी ही रिपोर्ट में बताया गया है कि तब अखिलेश सरकार ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के लिये 2,157 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी.
अंत में हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचे की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना 1974 में आई शुरुआती परियोजना से कहीं व्यापक है. इसे फेज वाइज मैनर में पूरा किया गया है. आज भारत सरकार का दावा है कि इस परियोजना से 14 लाख हेक्टेयर से अधिक खेतों की सिंचाई के लिये पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6200 से अधिक गांवों के लगभग 29 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा.
सरयू नहर परियोजना: CM योगी बोले- 1972 में योजना स्वीकृत हुई, 4 दशक में आधा काम भी नहीं हुआ
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