UP Political News: समाजवादी पार्टी में वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के ‘कद’ को लेकर चर्चा तेज हो गई है. आपको बता दें कि सियासी गलियारों में शिवपाल की सपा में भूमिका को लेकर पिछले काफी वक्त से चर्चा चली आ रही है. पिछले साल 8 दिसंबर को शिवपाल सिंह यादव ने सपा का झंडा थामकर अपनी पार्टी प्रसपा का सपा में विलय करवा दिया था. तबसे ही शिवपाल के समर्थकों को इंतजार था कि जल्द ही उनके नेता की सपा में जिम्मेदारी तय हो. इस बीच रविवार, 29 जनवरी को सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित हुई. इसमें शिवपाल को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद चर्चा अब इस बात की हो रही है कि यह पद मिलने के बाद शिवपाल का पार्टी में कद बढ़ा है या उनके साथ फिर एक बार खेला हो गया है?
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आपको बता दें कि रविवार को सामने आई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट में शिवपाल यादव का नाम पांचवें नंबर है. दरअसल इस लिस्ट में कुल 14 नाम हैं, जिन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. यानी कि शिवपाल के कद के 13 और नेता खड़े कर दिए गए हैं. इनमें आजम खान, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं को शिवपाल के बराबर का पद मिला है. गौर करने वाली बता यह है कि इस लिस्ट में आजम खान का नाम शिवपाल से ऊपर है.
अखिलेश, किरनमय नन्दा, राम गोपाल यादव और आजम के बाद शिवपाल का नाम है. अब इस सीक्वेंस पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. दूसरी चर्चा इस बात की है कि क्या राष्ट्रीय महासचिव बनाकर शिवपाल को स्टेट पॉलिटिक्स से दूर कर दिया गया है? जबकि शिवपाल समर्थकों को उम्मीद थी कि उनके नेता को राज्य में पार्टी को मजबूती देने के लिए सबसे आगे खड़ा किया जाएगा. मगर अब शिवपाल को नेशनल टीम में शामिल करने पर कहा जा रहा है कि एक तरह से उनको साइड किया गया है. क्योंकि यूपी की पॉलिटिक्स में अखिलेश किसी का भी कोई हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं!
हालांकि कुछ लोग इसका मतलब ये भी निकाल रहे हैं कि हो सकता है कि 2024 में शिवपाल को मैदान में उतारा जाए. वहीं सवाल ये भी है कि क्या दिल्ली की सियासत में रामगोपाल के रहते शिवपाल यादव की चलेगी भी, या ये पद यूं ही महज एक संदेश के तौर पर दिया गया है कि पार्टी में मुलायम गुट के नेताओं को उचित सम्मान दिया जा रहा है.
आपको बता दें कि मुलायम सिंह के दौर में शिवपाल यादव दूसरे नंबर पर माने जाते थे. हालांकि इन सबके बीच चर्चा ‘चाचा’ के समर्थकों को लेकर भी तेज हो गई है कि अब उनके भविष्य का क्या होगा? क्योंकि कुछ वक्त पहले मीडिया पैनेलिस्ट की लिस्ट में उनका कोई भी करीबी शामिल नहीं किया गया था और कुछ ऐसा ही हाल इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची में भी देखने को मिल रहा है.
इससे पहले समाजवादी पार्टी में आने के बाद से शिवपाल को कोई पद न मिलने की बात लगातार उछाली जा रही थी. विवाद गरमाने के बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी, जिसको लेकर कहा गया कि अखिलेश शिवपाल से संगठन के गठन और बाकी मुद्दों पर रायमशविरा करने गए थे.
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