ओबीसी नेताओं का लगातार साथ छोड़ना BJP के लिए संकट की बात, अब इस रणनीति पर होगा काम

कुमार अभिषेक

• 04:14 AM • 14 Jan 2022

पिछले तीन दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी व बीजपी के पांच अन्य…

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पिछले तीन दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी व बीजपी के पांच अन्य विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इन सभी ने योगी सरकार पर दलित, पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगा इस्तीफा दिया है. ऐन चुनावों से पहले इन इस्तीफों बीजेपी के लिए संकट की स्थिति खड़ी कर दी है. अब बीजेपी ने इस स्थिति से निपटने के लिए योजना बनाई है ताकि चुनावों से पहले ओबीसी वोटों को लेकर समीकरण गड़बड़ न हो जाए.

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इसके लिए बीजेपी फिलहाल अपने ओबीसी नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों को अहमियत देकर आगे कर रही है. इससे ओबीसी वोटों को संदेश देने की कोशिश की जा रही है. दलित नेताओं के जरिए भी सपा के चक्रव्यूह को तोड़ने की रणनीति बनाई गई है. बीजेपी ने अपने ओबीसी नेताओं में केशव मौर्य को आगे कर स्वामी प्रसाद मौर्य के असर को तोड़ने की रणनीति भी बनाई है

इसीलिए केशव प्रसाद मौर्य को मौर्य बाहुल फाफामऊ सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी है. इसी इलाके से स्वामी प्रसाद मौर्य भी आते हैं. वैसे स्वामी प्रसाद का क्षेत्र प्रतापगढ़ में है, लेकिन फाफामऊ सीट की सीमा वहां से लगती है. केशव मौर्य शुरू से ही बीजेपी छोड़ रहे ओबीसी नेताओं को रोकने की अपील कर रहे हैं ताकि मैसेज दिया जा सके.

केशव के साथ-साथ दूसरे ओबीसी नेताओं को भी बीजेपी आगे करेगी, जिनमें कुर्मी समाज और लोध समाज के नेता हैं. इसके अलावा अति पिछड़ा समाज के कुछ नेताओं को भी अहमियत देने की रणनीति है.

सहयोगी दलों में अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद के जरिए भी ओबीसी को संदेश देने की योजना बनाई गई है. योगी आदित्यनाथ के जरिए हिंदुत्व के वोट को सहेजना का काम होगा, लेकिन उससे पहले ओबीसी नेताओं को एकजुट कर बीजेपी ने अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने की रणनीति भी बनाई है.

बीजेपी ने दलित और ओबीसी के दूसरे नेताओं को स्वामी प्रसाद और उनके साथ गए नेताओं को काउंटर करने के लिए लगा दिया है. इसी कड़ी में बाराबंकी के सांसद के बयान को देखा जा रहा है. बीजेपी अब ओबीसी नेताओं के टिकट को कम काटने के बजाय सीट बदलने की दिशा में काम कर रही है और जिन नेताओं का टिकट कटेगा, उन्हें जोड़कर रखने का के लिए कुछ न कुछ आश्वासन दिया गया है.

बीजेपी और संघ द्वारा इस नई चुनौती से निपटने के लिए संयुक्त रूप से जमीन पर काम करने की रणनीति बनी है. सपा के ओबीसी कार्ड के जवाब में पीएम मोदी, डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष के उदाहारण को सामने रखने की रणनीति है.

ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाएगी सरकार?

ओबीसी के क्रीमीलेयर की जो निर्धारित सीमा 8 लाख है, उसे बढ़ाकर 12 लाख करने का भी केंद्र सरकार प्लान बना रहा है. लक्ष्य यह है कि इससे ओबीसी को बड़ा संदेश दिया जा सकेगा. यह ओबीसी वोटों के लिए मास्टर स्ट्रोक हो सकता है.

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