UP चुनाव: मतदाताओं का नया वर्ग बना ‘लाभार्थी’, प्रदेश में BJP को इन्हीं पर भरोसा

शिल्पी सेन

• 10:40 AM • 07 Mar 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सोमवार, 7 मार्च को आखिरी चरण के मतदान के साथ ही अब बस नतीजों का इंतज़ार है. इस बात…

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सोमवार, 7 मार्च को आखिरी चरण के मतदान के साथ ही अब बस नतीजों का इंतज़ार है. इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर इस चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर क्या रहा? विकास के दावे या जातीय समीकरण, क्या सबसे ज्यादा हावी रहा? इस बीच एक नया फैक्टर यूपी की राजनीति में उभरता दिखाई पड़ रहा है, वो है ‘लाभार्थी’. यानी वो लोग जिनको सरकार की किसी न किसी योजना से लाभ हो रहा है.

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बीजेपी को ‘लाभार्थियों’ पर भरोसा

केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने शुरू में अपने भाषणों में केंद्र सरकार की योजनाओं का यूपी में क्रियान्वयन में सफलता का बखान किया, अब वो एक नए रूप में खड़ा है. ये वो वर्ग है जो उत्तर प्रदेश में हर क्षेत्र में है. चाहे पश्चिमी यूपी हो या बुंदेलखंड, चाहे अवध का क्षेत्र हो या पूर्वी उत्तर प्रदेश. ये वो वर्ग है जो हर समुदाय में है, चाहे स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय (जिसको प्रधानमंत्री अपने भाषण में इज्जतघर कहते रहे हैं) पाने वाली महिला हो या किसान सम्मान निधि पाने वाला किसान, ये एक ऐसा वर्ग है जिसे अब यूपी चुनाव में सबसे प्रभावी वर्ग के तौर पर देखा जा रहा है.

अगर ये वर्ग जाति समुदाय के सांचे से बाहर निकल कर एक पैटर्न पर वोट करता है, तो ये पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर और दूसरे राज्यों के लिए भी ट्रेंडसेटर साबित होगा.

‘राशन और शासन ‘ को बनाया प्रचार अभियान का हिस्सा

यूपी में करीब 15 करोड़ मतदाता हैं. इनका वोटिंग पैटर्न हर बार चर्चा का विषय रहता है. धार्मिक ध्रुविकरण से वोट पड़ने पर मंदिर आंदोलन के समय बीजेपी को लाभ हुआ, तो जातीय समीकरण ने भी हर बार सरकार बनाने में भूमिका निभाई. पर इस बार बीजेपी को एक नए वर्ग ‘लाभार्थी’ पर भरोसा है. हालांकि, अलग-अलग योजनाओं में लाभ पाने वाले लाभार्थी लाभ को देखकर वोट करेंगे या जिस जाति, समुदाय से वो आते हैं, उसको आधार मानकर पहले की तरह वोट करेंगे ये 10 मार्च को नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा. मगर बीजेपी ने ‘राशन’ को आधार बनाकर जिस तरह से भाषण और सोशल मीडिया पर अपना कैम्पेन तेज किया है उससे लाभार्थी वर्ग को लेकर नए सिरे से चर्चा हो रही है.

किसान सम्मान निधि से उज्जवला योजना तक ‘बड़ी आबादी’ को मिला है लाभ

आबादी के हिसाब से देखा जाए तो देश भर में चलने वाली सभी योजनाओं का लाभ उत्तर प्रदेश में ‘सबसे ज्यादा’ लोगों को मिला है. वहीं, क्रियान्वयन की दृष्टि से भी प्रदेश सरकार इसको सफलता मानती रही है, क्योंकि योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के मामले में रैंकिंग में यूपी दूसरे नम्बर पर है.

लाभार्थियों में वोट देने वाले लोगों की संख्या निकालें तो ये एक बड़ा मतदाता वर्ग बनता है. सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली योजना पीएम किसान सम्मान निधि के तहत उत्तर प्रदेश में 2.82 करोड़ किसान आते हैं. ये भी एक बड़ी संख्या है. वहीं, अगर उज्जवला योजना की बात करें तो 1.5 करोड़ लाभार्थी हैं. ये महिलाएं हैं और बीजेपी ने अपने कैम्पेन में इस बात का ध्यान रखा कि महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी सुविधा से जोड़कर इसको देखा जाए, क्योंकि इससे महिलाओं के जीवन स्तर में सीधा असर हुआ है.

लोगों के स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या भी 1.3 करोड़ है. एक और योजना जिसका बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया है वो है प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY). इस योजना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में मकान बनाने के लिए सहायता दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ये 1 लाख 20 हजार रुपये, तो शहरी क्षेत्रों को ये 2.5 लाख रुपये दिए जाते हैं. इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा मकान पूरे किए का चुके हैं, जिन्हें बनाने के लिए सहायता दी जा चुकी है. इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने के लिए अनुदान दिया जाता है. पीएम मोदी ने इसे अपने भाषणों में महिलाओं की गरिमा से जोड़कर देखा है.

इस बार जमीनी स्तर पर लोगों को लाभ मिलने के मामले में सबसे ज्यादा जिस योजना की चर्चा हो रही है वो है नेशनल फूड सिक्यॉरिटी एक्ट (NFSA) के तहत अन्न योजना. इसमें देश भर में इससे लाभ पाए लोगों का 20 प्रतिशत यूपी में है. इसी योजना में सबसे ज्यादा संख्या में लाभार्थियों को लाभ मिला है.

बता दें कि कोरोनाकाल में प्रदेश सरकार की ओर से भी खाद्यान्न बांटे गए. हालांकि, प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा है कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थी राजनीति का हिस्सा नहीं हैं. मगर वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला मानते हैं कि लाभार्थी इस बार ट्रेंड सेटर हो सकते हैं. बृजेश शुक्ला कहते हैं, “पुरुषों के मुकाबले महिला लाभार्थियों ने वोट में इस फैक्टर का ध्यान रखा है. महिलाओं की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका हो सकती है, जैसे बिहार में हुआ था. महिलाओं और लाभार्थियों का वोट नतीजों की दिशा तय कर सकता है.”

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