उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है. सूबे में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बरकरार रहने के लिए हर संभव कोशिशों में जुटी हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और कांग्रेस सत्ता में आने के लिए बीजेपी को जमकर निशाने पर ले रही हैं. इस बीच लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, मसलन यूपी में सीएम पद की पहली पसंद कौन है, किसे कितनी सीट मिलने का अनुमान है.
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ऐसे सवालों के जवाब तलाशने के लिए लगातार कई तरह के सर्वे किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में जी न्यूज ने एक ओपिनियन पोल के आंकड़े जारी जारी किए हैं. जी न्यूज ने बताया है कि ‘यह ओपिनियन पोल 10 दिसंबर 2021 से 15 जनवरी 2022 के बीच किया गया है. इस सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 4 फीसदी है. इसमें 10 लाख से ज्यादा लोगों की राय ली गई है.’
यूपी में सीएम पद के लिए पहली पसंद कौन?
ओपिनियन पोल के आंकड़ों के अनुसार, 47 फीसदी लोगों ने सीएम पद के लिए योगी आदित्यनाथ का समर्थन किया है. वहीं, 35 फीसदी लोगों ने अखिलेश यादव, 9 फीसदी लोगों ने मायावती जबकि 5 फीसदी लोगों ने प्रियंका गांधी को सीएम के चेहरे के तौर पर अपनी पसंद बताया है.
यूपी में किसे कितना वोट शेयर मिलने का अनुमान?
ओपिनियन पोल के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है. वहीं, एसपी को 34 फीसदी, बीएसपी को 10 फीसदी, कांग्रेस को 6 फीसदी जबकि अन्य को 9 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है.
यूपी में किसे कितनी सीटें मिलने का अनुमान?
इस ओपिनियन पोल के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में एक बार फिर BJP की सरकार बनती नजर आ रही है. इसमें BJP के लिए 245 से 267 सीटों का अनुमान जताया गया है. वहीं, समाजवादी पार्टी 2017 के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन तो करती दिख रही है, लेकिन वह ओपिनियन पोल में BJP से काफी पीछे नजर आ रही है. समाजवादी पार्टी को 125 से 148 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है.
ओपिनियन पोल में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की हालत काफी खस्ता नजर आ रही है. इसमें BSP को 5 से 9 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं कांग्रेस को 3 से 7 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक 7 फेज में वोटिंग होगी. इस चुनाव के वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.
सर्वे के इन आंकड़ों को महज एक संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए. यह भी जरूरी नहीं है कि चुनावी नतीजों में इन आंकड़ों की झलक दिखे ही दिखे.
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