Afzal Ansari News: यूपी में पिछले दिनों घोसी उपचुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने बाजी मार ली. सुधाकर सिंह ने बीजेपी गठबंधन के दारा सिंह चौहान को बड़े अंतरों से हराया. समाजवादी पार्टी अपनी इस जीत को INDIA अलायंस और अखिलेश यादव के पीडीए नारे की सफलता के रूप में देख रही है. एक बड़ी बहस शुरू हो गई है कि क्या विपक्ष ने बीजेपी की गैर यादव ओबीसी और दलित वोटों की गोलबंदी में सेंधमारी करने में सफलता हासिल कर ली है. इस बीच गाजीपुर लोकसभा सीट के खाली होने और इसपर उपचुनाव को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं. हालांकि सूत्रों के हवाले से एक चर्चा यह भी है कि चुनाव आयोग इस सीट पर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले शायद उपचुनाव न कराए.
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इस चर्चा के पीछे कुछ वजहें भी गिनाई जा रही हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की गाजीपुर समेत लोकसभा की चार खाली सीटों पर उपचुनाव की संभावना नहीं है. भाषा ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक इसे लेकर चुनाव आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय का विधायी विभाग आपस में संपर्क में है. ऐसे प्रावधान हैं कि अगर चुनाव या उपचुनाव में देरी होती है या इन्हें न कराने की राय बनती है, तो चुनाव आयोग से बात करनी होती है.
यूपी की गाजीपुर, महाराष्ट्र में चंद्रपुर और पुणे के अलावा हरियाणा के अंबाला की लोकसभा सीट फिलहाल खाली हैं. गाजीपुर से बसपा के सांसद रहे अफजाल अंसारी को चार साल की सजा मिलने के बाद उनकी संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई. इसके बाद से ही यह सीट खाली पड़ी हुई है और इसपर उपचुनाव को लेकर तमाम तरह की कयासबाजियां लगाई जा रही हैं.
गाजीपुर में अगर उपचुनाव नहीं होगा, तो क्यों?
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि गाजीपुर समेत लोकसभा की बाकी खाली सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा, तो आखिर इसके पीछे वजह क्या होगी? पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वाचन कानून ऐसा कहता है कि अगर कोई सीट खाली होती है, तो उसपर छह महीने के अंदर उपचुनाव कराना होता है. हालांकि निर्वाचन आयोग कुछ तथ्यों के आधार पर उपचुनाव न कराने या स्थगित करने का फैसला ले सकता है.
इसके पीछे की दूसरी जो सबसे बड़ी वजह सूत्रों के हवाले से गिनाई जा रही है, वह है समय का कम होना. चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय की बातचीत से अवगत सूत्रों का कहना है कि इन सीटों पर अगर उपचुनाव हुए तो यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों को काम के लिए समय काफी कम मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अगले लोकसभा चुनाव की घोषणा 2024 के शुरुआत में की जाएगी.
यूपी में विपक्ष का INDIA अलायंस बीजेपी के एनडीए के लिए है बड़ी चुनौती
इस वक्त विपक्ष काफी मजबूती से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ INDIA अलायंस बनाकर आगे बढ़ रहा है. महाराष्ट्र और बिहार जैसे कई राज्यों में INDIA अलायंस को एनडीए के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है. बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता यूपी को लेकर है. यूपी की 80 लोकसभा सीटें बीजेपी और विपक्ष दोनों के लिए 2024 के चुनाव को देखते हुए काफी अहम हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में यूपी में सपा और बसपा के महागठबंधन के बावजूद बीजेपी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने 2 सीटें जीती थीं. इस हिसाब से देखें तो यूपी से एनडीए को कुल 64 सीटें मिली थीं.
यूपी में फिलहाल अखिलेश यादव की सपा, जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस INDIA अलायंस का हिस्सा हैं. ऐसी भी चर्चाएं तेज हैं कि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप इस अलायंस में मायावती की बसपा की एंट्री के लिए भी कोशिश कर रही है. हालांकि मायावती ने अबतक INDIA या NDA किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जाने का फैसला लिया है. वैसे चर्चा यह भी है कि मायावती राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर बनाए हुए हैं. इन नतीजों के आधार पर ही मायावती 2024 के आम चुनावों के लिए कोई अंतिम फैसला लेंगी. ऐसे में आने वाला वक्त यूपी के लिहाज से सियासी रूप से काफी मजेदार साबित होने जा रहा है.
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