समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की चौपाइयों पर आपत्ति जताई तो एक नया विवाद शुरू हो गया. इस विवाद से उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया था. सपा में ही इस विवाद को लेकर दो खेमे नजर आ रहे थे.
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लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय के बाहर रामचरितमानस की चौपाइयों का विरोध करते हुए विवादित पोस्टर, रामचरितमानस में नारी-पिछड़ों के अपमान के पोस्टर लगाए गए थे. मगर अब लगता है कि समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति बदल ली है.
अखिलेश के कदम का दिख रहा असर
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने धार्मिक मुद्दे पर पार्टी में किसी के भी बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी के साथ सपा ने रोली तिवारी और रिचा सिंह को भी पार्टी से भी निष्कर्षित कर दिया है. अब अखिलेश यादव के इस कदम का असर भी दिखने लगा है. बता दें कि पिछले कुछ समय से सपा का लखनऊ मुख्यालय जिन बाहर लगे पोस्टरों के लिए चर्चाएं में बना हुआ था, अब उन सभी बैनरों और पोस्टरों को वहां से हटा दिया गया है.
नाम के आगे शूद्र लिखवाकर लगाए गए थे पोस्टर
बता दें कि इनमें से कई पोस्टरों में सपा नेताओं ने अपने नाम के आगे शूद्र लिखा था और मानस की चौपाइयों को हटाने संबंधित बातें की गई थीं. इसी दौरान ‘गर्व से कहो हम शूद्र’ और ‘गर्व से कहो हम ब्राह्मण’ जैसे पोस्टर लगने का सिलसिला शुरू हो गया था. जो अब थम गया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य भी चुप
गौर करने वाली बात यह भी है कि जब से सपा चीफ अखिलेश यादव ने धार्मिक मुद्दे पर बोलने से प्रतिबंध लगाया है तभी से स्वामी प्रसाद मौर्य भी खामोश हैं. पिछले 2 दिनों से उनका मानस और इस से संबंधित मुद्दे पर कोई बयान सामने नहीं आया है. इससे पहले हर दिन वह रामचरितमानस संबंधित कई मुद्दों पर खुलकर बयान दे रहे थे.
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