उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित एक होटल में पुलिस की दबिश के बाद कानपुर के मनीष गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. मसलन, मनीष गोरखपुर क्या करने गए थे? घटना वाली रात आखिर हुआ क्या था? पुलिस की दबिश के दौरान फोन पर बात करते हुए मनीष ने क्या कहा था? और इस पूरे मामले पर अब तक पुलिस का आधिकारिक स्टैंड क्या रहा है?
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चलिए, एक-एक करके इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
मनीष गुप्ता गोरखपुर क्या करने गए थे?
मनीष गुप्ता अपने रियल स्टेट के काम के सिलसिले में पहली बार गोरखपुर गए थे. वहां मनीष के साथ उनके दो दोस्त भी थे. दिन भर मीटिंग के बाद तीनों दोस्त होटल कृष्णा पैलेस में कमरा बुक कर ठहरे हुए थे.
मनीष के दोस्त ने बताया, घटना वाली रात आखिर हुआ क्या था
यह घटना सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात की है, जब रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के देवरिया बाईपास रोड पर स्थित होटल के कमरे को खुलवाया गया, जिसमें मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों हरवीर और प्रदीप के साथ रुके हुए थे.
हरवीर ने बताया, ”हम लोग एक ढाबा में खाना खाकर आए थे. इसके बाद हम आराम से अपने रूम में सो रहे थे. 12 से सवा 12 बजे के आसपास डोर बेल बजी और मैंने दरवाजा खोला. तभी 5-7 पुलिसवाले अंदर आए. उन्होंने कहा कि तुम्हारी इन्वेस्टिगेशन होनी है. मैंने कहा कि सर कर लो.”
इसके आगे हरवीर ने बताया,
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”उन्होंने कहा कि अपनी आईडी दिखाइए. मैंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदीप जी का आधार कार्ड दिखाया, जो प्रदीप जी के बैग में पर्स में पड़ा हुआ था.”
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”उन्होंने फिर बैग चेक कराने को कहा. मैंने कहा कि सर हम कोई आतंकवादी तो हैं नहीं. (मनीष) गुप्ता जी बोले कि इतनी रात में आप परेशान कर रहे हो, अच्छी बात नहीं है, हम लोग आपको आतंकवादी लग रहे हैं क्या? तो उन्होंने बोला कि एक दरोगा को तुम सिखाओगे क्या कि कैसे काम करना है. हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, करने दीजिए.”
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”मैंने कहा कि सर गलत बात है ये आपकी, इतनी रात को आप हमें परेशान कर रहे हो. इस पर उन्होंने कहा कि तू एक रात थाने में रहेगा ना तो तुझे अक्ल आ जाएगी. मैंने कहा कि ऐसे कैसे थाने में डाल सकते हो. मैंने कोई चोरी तो की नहीं है, न ही मैं कोई गलत काम कर रहा हूं.”
हरवीर ने बताया कि इस पर पुलिसकर्मी गाली देने लगे और बोले कि इसको गाड़ी में पटको, ”मैंने कहा कि गाड़ी में आप ऐसे कैसे पटक सकते हो, तो उन्होंने हाथापाई शुरू कर दी. उन्होंने मुझे और गुप्ता जी को थप्पड़ मारने शुरू कर दिए.”
इसके आगे हरवीर ने बताया, ”इस बीच गुप्ता जी ने दुर्गेश वाजपेयी जी को कॉल कर दी. जो शायद गुप्ता जी के रिलेटिव हैं. उन्होंने कॉल पर कहा कि पुलिसवाले हमारे रूम में जबरदस्ती आ गए हैं, हमारे साथ मारापीटी कर रहे हैं और हमें थाने ले जाने की धमकी दे रहे हैं. इस चक्कर में शायद वो चिढ़ गए. गुप्ता जी को मारा तो वह गिर गए, तभी उनको खून आने लगा.”
फोन पर दुर्गेश और मनीष के बीच क्या बातचीत हुई थी?
पुलिस का क्या कहना है?
यूपी के एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने इस बारे में यूपी तक को बताया, ”प्रारंभिक सूचना मुख्यालय पर ये आई थी कि सामान्य तौर पर होटल इत्यादि की चेकिंग कराई जाती है कि अवैध लोग न रहें. उस दौरान एक कमरे में तीन लोग थे. उसमें धड़पकड़ के दौरान एक आदमी भागने लगा और गिरने से उसे चोट आई. जिसकी बाद में दुखद मृत्यु हो गई.”
घटना के बाद गोरखपुर के एसएसपी विपिन ताडा ने बताया था कि चेकिंग के दौरान रामगढ़ताल पुलिस एक होटल में गई, वहां पर तीन संदिग्ध युवक अलग-अलग शहरों से आए थे, पुलिस होटल मैनेजर को साथ में लेकर युवकों से पूछताछ करने के लिए गई थी, इसी दौरान हड़बड़ाहट में कमरे में गिरने से एक शख्स को चोट लग गई.
इस मामले में कुल 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है, जिनमें से 3 नामजद हैं. FIR में IPC की धारा 302 लगाई गई है.
इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 30 सितंबर को कानपुर में मनीष गुप्ता के परिजनों से मिले. इस दौरान क्या-क्या हुआ, वो आप नीचे दी गई खबर में पढ़ सकते हैं.
(कुमार अभिषेक, संतोष शर्मा, गजेंद्र त्रिपाठी और रंजय सिंह के इनपुट्स के साथ)
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