आवारा पशु, बेरोजगारी, महंगाई… फिर भी UP में BJP भारी! जानिए राजदीप सरदेसाई की राय

यूपी तक

• 03:18 PM • 25 Feb 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चार चरणों की वोटिंग हो चुकी है. 7 फेज वाले इस चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग 27 फरवरी…

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चार चरणों की वोटिंग हो चुकी है. 7 फेज वाले इस चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग 27 फरवरी को होगी. अब तक देखा जाए तो यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 231 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है.

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इस बीच राजनीतिक दलों के अलग-अलग दावे हैं. एक तरफ अखिलेश यादव हैं, जो यह दावा कर रहे हैं कि चार चरणों में समाजवादी पार्टी गठबंधन ने सीटों का दोहरा शतक लगा लिया है. दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ हैं, जो कह रहे हैं कि जनता ने बीजेपी को 300 पार कराने का मन बना लिया है. इतना ही नहीं, मायावती का भी दावा है कि बीएसपी पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है. वहीं, कांग्रेस कह रही है कि बिना उसकी मदद के यूपी में कोई सत्ता हासिल नहीं कर पाएगा.

ऐसे में यूपी का हर व्यक्ति आज यही जानना चाह रहा है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठ रहा है? हालांकि, इस बात सही जवाब 10 मार्च को चुनावी नतीजों से पता चलेगा कि आखिर किसके दावे में कितना दम है. इसके बावजूद वरिष्ठ पत्रकार और सालों से देश की चुनावी राजनीति की नब्ज टटोलने वाले विश्लेषकों के अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं.

इसी क्रम में इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित अपने कॉलम में यूपी में चल रहे चुनाव को लेकर अपना नजरिया पेश किया है.

राजदीप सरदेसाई ने अपने विश्लेषण में बताया है कि यूपी में चल रहे सियासी घमासान में बीजेपी को बढ़त नजर आ रही है. वह अपने विश्लेषण में अयोध्या के विकास में अपनी दुकान गंवा चुके दुकानदार, कानपुर में महंगे डीजल और आवारा पशुओं से जूझते किसान, लखनऊ के युवाओं से बात करने के क्रम में यह पाते हुए नजर आ रहे हैं कि तमाम मुद्दों के बावजूद लोग बीजेपी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

कहीं ‘राम मंदिर की सफलता’ का जिक्र है, तो कहीं ‘फ्री राशन योजना’ के चर्चे हैं. कहीं ‘महिलाओं की सुरक्षा’ के मुद्दे पर योगी सरकार को नंबर मिलते दिख रहे हैं.

राजदीप सरदेसाई के विश्लेषण के अहम बिंदु

  • किसान आंदोलन से उथल-पुथल वाले पश्चिमी यूपी के मुकाबले प्रदेश के दूसरे हिस्सों में बदलाव की उतनी सुगबुगाहट नहीं है. मायावती पहले वाले तेवर के साथ नजर नहीं आ रही हैं. प्रियंका गांधी कांग्रेस में ऊर्जा भरने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन दशकों से शिथिल पड़ा संगठन कुछ महीनों में रीचार्ज होता नजर नहीं आ रहा.

  • अखिलेश यादव ने रणनीतिक रूप से अहम गठबंधन कर अपने मुस्लिम-यादव बेस को आगे ले जाने की कोशिश की है. हालांकि यादव ‘बाहुबली’ का परसेप्शन अब भी उनके साथ बना दिख रहा है.

  • पिछले सात वर्षों में बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग पर काफी काम किया है. नॉन यादव ओबीसी का अलग पावर स्ट्रक्चर खड़ा किया है.

  • मोदी और योगी की ‘डबल इंजन’ की सरकार की फ्लैगशिप वेलफेयर स्कीम ने ‘गरीब समर्थक सरकार’ की एक छवि बनाई है. ऐसी छवि जो महंगाई और विधायकों के खिलाफ तैयार हो रही एंटी इकंबेंसी को पार पा सकती है.

  • अंत में, हिंदुत्व प्रोजेक्ट का सहारा भी है. योगी आदित्यनाथ के बयान उनकी ‘हिंदुत्व की रक्षक’ वाली छवि को आगे ले जा रहे हैं.

चुनाव विश्लेषक संजय कुमार की राय इससे जुदा

यूपी तक ने यूपी में चल रहे चुनाव के संबंध में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड पॉलिटिक्स (CSSP) के फेलो और युवराज दत्त पीजी कॉलेज, लखीमपुर खीरी में अध्यापक प्रोफेसर संजय कुमार से बात की. यूपी चुनावों को लेकर संजय कुमार की राय एक अलग ही दिशा दिखाती नजर आ रही है.

प्रोफेसर संजय कहते हैं कि यूपी के पांच महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक सबड़े बड़ा मुद्दा आवारा पशुओं का है. जमीन पर यह देखने को मिल रहा है कि गांव के लोग आवारा पशुओं से काफी परेशान हैं. उनके मुताबिक किसानों का कहना है कि उन्हें योजनाओं से पैसा मिल रहा है, लेकिन जानवर उससे अधिक की खेती को चर जा रहे हैं. यह मुद्दा पूरे यूपी के किसानों के लिए काफी अहम है और योगी सरकार इस पर घिरती नजर आ रही है.

प्रोफेसर संजय कहते हैं कि चौथे चरण में लखीमपुर खीरी, सीतापुर और पीलीभीत में चुनाव हुए. यहां किसान आंदोलन का असर देखने को मिलेगा और इसकी झलक नतीजों में भी दिखेगी. उनके मुताबिक पहले और दूसरे चरण में निश्चित तौर पर स्थिति बीजेपी के लिए प्रतिकूल दिखी है और एसपी गठबंधन आगे दिखा है, तीसरे चरण में भी एसपी गठबंधन बेहतर करता नजर आ रहा है. हालांकि उनके मुताबिक चौथे चरण में बीजेपी की स्थिति पहले तीन चरणों से सही है.

प्रोफेसर संजय के मुताबिक, अब तक के मतदान में यह कहा जा सकता है कि यूपी में बिल्कुल नेक टू नेक फाइट चल रही है. ऐसी स्थितियों में कोई भी राजनीतिक दल भारी पड़ सकता है.

आगामी चरणों में बीजेपी की चिंताएं बड़ी: प्रोफेसर संजय कुमार बताते हैं कि छठे और सातवें चरण पर भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इन चरणों में बिल्कुल पूर्वी यूपी में मतदान होना है. यहां बीजेपी को 2017 में प्रचंड जीत मिली थी, लेकिन ग्राउंड से जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उनके मुताबिक, यहां अब स्थितियां उसके लिए प्रतिकूल नजर आ रही हैं.

प्रोफेसर संजय बताते हैं कि आगे के चरणों में जातियों की गोलबंदी काफी अहम है. यहां ब्राह्मण वोट काफी अहम हैं और ब्राह्मणों में बीजेपी की वर्तमान लीडरशिप को लेकर डिस्कंफर्ट नजर आ रहा है. पिछली बार बीजेपी को 80 फीसदी ब्राह्मणों ने सपोर्ट किया था.

इसी तरह वह कहते हैं कि दलित मतदाताओं की संख्या भी काफी ज्यादा है, जो नॉन जाटव दलित हैं. इनमें भी पासी मतदाताओं की संख्या काफी अहम है. प्रोफेसर संजय के मुताबिक, अभी पासी मतदाताओं का रुझान 2017 की तरह ही बीजेपी के साथ नजर आ रहा है.

हालांकि, अंत में यह जानना बेहद जरूरी है कि यूपी चुनाव की असल व्याख्या 10 मार्च को नतीजों के बाद ही तय होगा. तभी तय होगा कि आखिर इस बार यूपी का जनादेश किसके साथ है.

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