दुर्गा मां की मूर्तियों को बनाते हैं झांसी के अब्दुल खलील, पिता से विरासत में मिला है हुनर

अमित श्रीवास्तव

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बुंदेलखंड के झांसी जिले में एक मुस्लिम युवक दुर्गा मां की मूर्तियों को बनाने का काम करता है. यह काम वह पैसों के लिए नहीं, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की एकता बनाने के लिए करता है. इतना ही नहीं, यह मुस्लिम मुर्तिकार हिन्दुओं के त्यौहारों को भी उसी हर्षोल्लास से मनाता है, जैसे अपने त्यौहारों को. यह मूर्ति बनाने का हुनर उसे अपने पिता से विरासत में मिला है. अब तक उसने झांसी में कई प्रतिष्ठित पंडालों के लिए मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें प्रमुखता से बंगाली समाज की कालीबाड़ी की मूर्ति है. इस मुस्लिम मूर्तिकार का नाम है अब्दुल खलील.

अब्दुल खलील झांसी के प्रेमनगर में रहते हैं. अब्दुल खलील अपना और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए एल्युमीनियम फिटिंग का काम करता है.

अब्दुल खलील का कहना है कि उसके पिता नेशनल हाफिज सिद्दीकी स्कूल में लैब टेक्नीशियन के पद पर काम करते थे. उनके पिता मूर्ति बनाने की कला को लेकर काफी उत्साहित रहते थे. जब वह काफी छोटा था, तभी झांसी में कालीबाड़ी की मूर्ति बनाने के लिए आने वाले बंगाली मूर्तिकार से उसके पिता की मुलाकात हो गई. उसके पिता ने इस कला को सीखने के लिए बंगाली मूर्तिकार को अपना गुरु बना लिया और जब वह मूर्तिकार झांसी में आकर कालीबाड़ी की मूर्ति बनाता तो उसके पिता उस मूर्तिकार के साथ रहकर मूर्ति बनाना सीख गए और एक अच्छे मूर्तिकार बन गए थे.

इसके बाद धीरे-धीरे अब्दुल खलील इस मूर्ति बनाने की कला को लेकर उत्साहित हो गया और उसने अपने पिता से इस हुनर को सीख लिया.

अब्दुल खलील का कहना है कि जब उसके पिता का देहांत हो गया तो उसने इस परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए मूर्ति बनाना शुरू कर दिया. वर्तमान में कालीबाड़ी में रखने वाली मूर्ति के अलावा दयासागर कम्पाउण्ड, बड़ामठ और इलाईट चौराहे पर रखने वाली मूर्तियों को बनाता है.

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मुस्लिम मूर्तिकार अब्दुल खलील का कहना है कि उसका नवरात्रि के त्योहार से विशेष लगाव है. वह इस त्योहार का कई दिनों से इंतजार करने लगता है. जैसे ही यह त्योहार आता है, वह मूर्ति तो बनाता ही है. साथ ही इस त्योहार को मनाने के लिए वह शामिल भी होता है. इस त्योहार को वह अकेले नहीं, बल्कि उसका परिवार भी मनाता है, क्योंकि उसका सोचना है कोई भी धर्म अलग-अलग नहीं होता है. सभी धर्म एक होते हैं. फिर चाहे हिन्दू या फिर मुसलमान. आपस में बैर नहीं रखना चाहिए. सभी त्योहारों को हमें खुशी-खुशी मनाना चाहिए.

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