विकास दिव्यकीर्ति ने कैसे खड़ी कर दी UPSC की इतनी बड़ी कोचिंग? अंदर की पूरी कहानी जान लीजिए
Vikas Divyakirti News: चाहे आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं या नहीं, लेकिन डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के नाम से आपका वास्ता जरूर पड़ा होगा. सोशल मीडिया पर विकास सर के वीडियो अक्सर वायरल रहते हैं.
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Vikas Divyakirti News: चाहे आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं या नहीं, लेकिन डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के नाम से आपका वास्ता जरूर पड़ा होगा. सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर विकास दिव्यकीर्ति के वीडियो अक्सर वायरल रहते हैं. मगर इन दिनों विकास दिव्यकीर्ति दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन छात्रों की मौत की वजह से चर्चा में हैं. दरअसल, इस मुद्दे पर विकास दिव्यकीर्ति की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है और छात्र इस बात से नाराज हैं.
बता दें कि विकास दिव्यकीर्ति विशेष रूप से अपने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान 'दृष्टि IAS' के संस्थापक और निदेशक के रूप में जाने जाते हैं. आप खबर में आगे तफ्सील से जानिए 'दृष्टि IAS' के शुरू होने से लेकर उसके सफल होने तक की पूरी कहानी.
विकास दिव्यकीर्ति ने कैसे की 'दृष्टि IAS' की शुरुआत
इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल 'द लल्लनटॉप' को दिए एक इंटरव्यू में विकास दिव्यकीर्ति ने बताया था, "मैंने लगभग साढ़े 24 साल की उम्र में सिविल सर्विसेज के लिए पढ़ाना शुरू किया था. कुछ फाइनेंशियल दिक्कतें थी जिनकी कारण पढ़ाना शुरू किया था. UPSC में सेलेक्शन हो चुका था, जॉइनिंग में समय था इसलिये पढ़ाना शुरू किया. ये सोच कर कि उधार चुका दूंगा."
उन्होंने आगे कहा, "शुरुआत ऐसे हुई कि 1998 में मेरे एक स्टूडेंट ने जिद की थी की उसे हिंदी साहित्य मुझसे ही पढ़ना है. उसी स्टूडेंट ने बाद में कोचिंग के पोस्टर लगाए. तब मैंने 12 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था. उस वक्त पहली बार पढ़ाया था और ये सिलसिला अब तक चल रहा है."
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कौन हैं विकास दिव्यकीर्ति?
गौरतलब है कि डॉ. दिव्यकीर्ति का जन्म और पालन-पोषण हरियाणा में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है. इसके बाद, उन्होंने हिंदी साहित्य में पीएचडी की उपाधि हासिल की. विकास दिव्यकीर्ति ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और अधिकारी बने. हालांकि, अपने शिक्षण और छात्रों को मार्गदर्शन देने की इच्छा के चलते उन्होंने सिविल सेवा छोड़ दी और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू किया.
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