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Navratri 2024 Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, नोट कर लें पूजन विधि और आरती

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Shardiya Navratri Day 5: Skandamata puja, vidhi, timing and samagri
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Navratri 2024 Day 5: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व होता है. देवी स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और उन्हें मातृत्व और शक्ति की देवी माना जाता है. उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और संतान सुख की प्राप्ति होती है. ऐसे में आप भी अगर इस नवरात्रि मां स्कंदमाता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस विधि विधाना से माता रानी की पूजा करें.

इस संबंध में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष  महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि नवरात्र के पांचवें  दिन शुद्ध जल से स्नान कर मां की पूजा के लिए कुश के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए.देवी स्कंदमाता की दिशा उत्तर है,निवास में वो स्थान जहां पर उपवन या हरियाली हो. स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा पहर. जिस तरह से अपने चारों दिन मां की पूजा की ठीक वैसे ही पांचवें दिन भी करें अर्थात आत्म पूजा,कलश स्थापना,श्री नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका पूजन करें,स्कंदमाता का षोडशोपचार विधि से पूजन करें.

 

 

पूजा की प्रक्रिया

मां को पीले वस्त्र और पीले फूल चढ़ाएं, क्योंकि उन्हें यह रंग प्रिय होता है. पंचामृत से मां का अभिषेक करें और अक्षत, चंदन, और रोली अर्पित करें.मां को फल और मिठाई का भोग लगाएं. प्रसाद में विशेष रूप से केले का फल चढ़ाएं.

स्कंदमाता का ध्यान मंत्र 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।

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शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥

माता की पूजा से सभी कष्ट होंगे दूर

महंत रोहित शास्त्री के अनुसार, स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती हैं. माता की पूजा करने से इस मृत्युलोक मे ही उसे परम शांति ओर सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है ,सूर्य मंडल की देवी होने के कारण इनका उपासक आलोकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है.  साधक को अभिस्ट वस्तु की प्राप्ति होती है ओर उसे पुलना रहित महान ऐश्वर्य मिलता है. इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि व चेतना प्राप्त होती है, पारिवारिक शांति मिलती है, स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है. इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है. देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है,वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए .

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मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंदमाता, जय तेरी हो।
पाँचवाँ नवरात्रा, स्कंदमाता, जय तेरी हो।।

जो ध्यान धरें, स्कंदमाता, उसका उद्धार हो।
तेरा सुत कार्तिकेय भी, जग में जय-जयकार हो।।
जय तेरी हो...

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माँ स्वरूप है तेरा अद्भुत, ज्योति से भंडार भरे।
जो भी तेरा ध्यान लगावे, धन वैभव से पूर्ण हो।।
जय तेरी हो...

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