संभल जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर...किसने किया ये दावा, क्यों हुआ बवाल, जानें पूरा मामला
Sambhal Violence : संभल के स्थानीय अदालत ने मंगलवार (19 नवंबर) को सर्वे का आदेश दिया था. आदेश उस एक याचिका के बाद आया था, जिसमें ये दावा किया गया कि 1526 में मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को तोड़ दिया गया था.
ADVERTISEMENT
Sambhal Violence : संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुए बवाल के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इलाके में भारी पुलिस बल मौजूद है. एहतियात के तौर पर जिले में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिया गया है. इस हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग घायल हैं. यह सब तब हुआ जब दूसरी मर्तबा शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए कोर्ट के आदेश के बाद एक टीम चंदौसी पहुंची थी. मंगलवार (19 नवंबर) को एक स्थानीय अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था. आगे बढ़ने से पहले आइए जानते कि आखिर इस मस्जिद को लेकर क्या विवाद है और इसका सर्वे कराने का आदेश कहां से आया?
दरअसल, संभल के स्थानीय अदालत ने मंगलवार (19 नवंबर) को सर्वे का आदेश दिया था. आदेश उस एक याचिका के बाद आया था, जिसमें ये दावा किया गया कि 1526 में मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को तोड़ दिया गया था. यह आदेश चंदौसी में संभल के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह की अदालत की ओर से पारित किया गया था.
चंदौसी में जामा मस्जिद क्या है?
चंदौसी की शाही जामा मस्जिद संभल की यह शाही जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है। जिसे 22 दिसंबर, 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उप-धारा (3) के तहत अधिसूचित किया गया था। इसे ASI की वेबसाइट पर ‘राष्ट्रीय महत्व’ का स्मारक घोषित किया गया है. इसे केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में ASI, आगरा सर्कल मोरादाबाद डिवीजन की वेबसाइट पर राष्ट्रीय महत्व और आंकड़ों के स्मारक के रूप में घोषित किया गया है.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
किसने दायर किया है केस?
संभल कोर्ट में कुल आठ याचिकाकर्ताओं ने केस दाखिल किया है. इनमें से एक वकील हरि शंकर जैन हैं ( ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद में भी वकील हैं) अधिवक्ता पार्थ यादव हैं, संभल में कल्कि देवी मंदिर के महंत महंत ऋषिराज गिरी हैं. अन्य याचिकाकर्ता नोएडा निवासी वेद पाल सिंह, संभल निवासी राकेश कुमार, जीतपाल यादव हैं.
याचिका में मंदिर को लेकर क्या कहा गया?
याचिका में दावा किया गया है कि संभल शहर के बीचों-बीच भगवान कल्कि को समर्पित एक सदियों पुराना श्री हरि हर मंदिर है, जिसका जामा मस्जिद समिति द्वारा जबरन और गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि संभल एक ऐतिहासिक शहर है और हिंदू शास्त्रों में इसकी गहरी जड़ें हैं, जिसके अनुसार यह एक पवित्र स्थल है, जहां भविष्य में भगवान विष्णु के एक अवतार कल्कि का आगमन होगा. याचिका में कहा गया है कि 'हिंदू धर्मग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल में भगवान विष्णु और भगवान शिव से मिलकर एक अनोखा 'विग्रह' उभरा था और इसी कारण से इसे 'श्री हरि हर' मंदिर कहा जाता है. इसमें कहा गया है कि "सम्भल का श्री हरि हर मंदिर ब्रह्मांड की शुरुआत में स्वयं भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था।" याचिका में आगे कहा गया है कि 'हिंदू धर्मग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल में भगवान विष्णु और भगवान शिव से मिलकर एक अनोखा 'विग्रह' उभरा था और इसी कारण से इसे 'श्री हरि हर' मंदिर कहा जाता है.
ADVERTISEMENT
याचिका में आगे कहा गया है कि बाबर ने 1526 ई. में भारत पर आक्रमण किया और इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया ताकि हिंदुओं को लगे कि वे इस्लामी शासक के अधीन हैं. 1527-28 में हिंदू बेग, बाबर सेना के सेनापति ने संभल में श्री हरि हर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया और मुसलमानों ने मस्जिद के रूप में उपयोग करने के लिए मंदिर की इमारत पर कब्जा कर लिया. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि स्मारक प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित है और अधिनियम की धारा 18 के तहत, जनता को “संरक्षित स्मारक तक पहुंच का अधिकार” है.
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
जामा मस्जिद के सर्वेक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क ने कहा, "बाहरी लोगों ने अदालत में इस तरह की याचिका दायर करके जिले के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि 1991 के उपासना अधिनियम के अनुसार, 1947 में मौजूद सभी धार्मिक स्थल अपने वर्तमान स्थान पर बने रहेंगे. संभल में जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है जहां मुसलमान कई शताब्दियों से नमाज़ अदा करते आ रहे हैं. अगर हमें स्थानीय अदालत से संतोषजनक आदेश नहीं मिलता है तो हमें उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT