आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर ही SC-ST कानून के तहत पीड़ित को मुआवजा दिया जाए: हाई कोर्ट

सत्यम मिश्रा

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Allahabad News Hindi : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एससी-एसटी एक्ट (SC-ST Act) के तहत दर्ज मामलों में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है. इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार को राय दी है कि एससी-एसटी कानून के तहत मामलों में जब तक आरोपी के ऊपर लगे आरोप सिद्ध ना हो जाएं तब तक पीड़ित पक्ष को मुआवजा ना दिया जाए. मिली जानकारी के मुताबिक यह आदेश,जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने इसरार उर्फ इसरार अहमद व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया.

बताया जा रहा है कि,कोर्ट ने हियरिंग के दौरान यह भी कहा कि लगातार ऐसे मामले संज्ञान में आ रहे हैं कि पीड़ित पक्ष सरकार की तरफ से मुआवजा मिलने के बाद आरोपी के साथ सुलह कर ले रहे हैं. इसलिए अब जब तक एससी-एसटी एक्ट मामले में आरोपी पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हो जाते हैं तब तक सरकार पीड़ित पक्ष को मुआवजा ना दे.

कोर्ट ने कहा है कि मुआवजा बांटकर टैक्स पेयर्स के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है. लिहाजा उचित यही होगा कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जब अभियुक्त पर आरोप सिद्ध हो जाएं तभी पीड़ित पक्ष को मुआवजा प्रदान किया जाए, न कि एफआईआर दर्ज होने पर या मात्र चार्जशीट दाखिल होने पर.

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मुआवजे की रकम वापस लेने पर कोर्ट ने ये कहा

UP Samachar : अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार कथित पीड़ितों से मुआवजे की रकम वापस लेने के लिए स्वतंत्र है जहां शिकायतकर्ता ने आरोपी के साथ मुकदमा वापस लेने के लिए समझौता कर लिया है या अदालत ने मुकदमा रद्द कर दिया है.

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