मछली पालन से बदलें अपनी किस्मत! यूपी सरकार दे रही है लाखों रुपये, जानें कैसे

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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मछली पालन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय बनता जा रहा है.

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मछली पालन के लिए तालाब, नदी, झीलों का इस्तेमाल किया जाता है.

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सरकार ने 'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' को लेकर लिया बड़ा फैसला.

UP Mukhyamantri Matasya Sampada Yojana: उत्तर प्रदेश में मछली पालन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय बनता जा रहा है. राज्य में प्रचुर मात्रा में जल संसाधन उपलब्ध होने के कारण यह क्षेत्र किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है. मछली पालन के लिए तालाब, नदी, झीलों का इस्तेमाल किया जाता है, जहां वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर मछलियों की उत्पादकता को बढ़ाया जाता है. उत्तर प्रदेश में रोहू, कतला, मृगल जैसी मछलियों की सबसे अधिक मांग होती है, जो लोगों के लिए रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन है. उत्तर प्रदेश की सरकार भी लोगों को  मछली पालन का रोजगार कराने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. 

इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' की अवधि को 4 साल और बढ़ाने की मंजूरी दी है. मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने बताया कि मछली पालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि, मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल करने और राजस्व नियमों में संशोधन पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. वर्तमान में मछली पालकों से बिजली का बिल व्यावसायिक दरों पर लिया जाता है और बाढ़ में मछलियां बह जाने पर मुआवजा भी नहीं मिलता है. इन मांगों पर निर्णय अभी भी लंबित है. 

 

 

कब तक कर सकते हैं आवेदन?

आपको बता दें कि शासन ने इस योजना को वित्तीय वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-2027 तक के लिए मंजूरी दी है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक व्यक्ति आगामी 16 फरवरी तक कर आवेदन सकते हैं. 

क्या हैं इस योजना की शर्तें?

इस योजना के अंतर्गत ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित उन तालाबों को शामिल किया गया है, जिनका सुधार मनरेगा कन्वर्जेंस या पट्टाधारक द्वारा स्वयं या अन्य विभागों के माध्यम से किया गया हो. मछली पालन के लिए पहले साल की लागत में मछली के बीज, पूरक आहार, तालाब में पानी भरने के संसाधन, दवाएं, और जाल आदि की खरीदारी पर सरकार अनुदान प्रदान करती है. इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना को भी अनुदान के दायरे में शामिल किया गया है.

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कितनी मिलेगी अनुदान राशि?

आपको बता दें कि आवेदक की कुल परियोजना लागत 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. इस लागत का 40 प्रतिशत अर्थात 1.60 लाख रुपये प्रत‍ि हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा. लागत का 60 प्रतिशत खर्च लाभार्थी को स्वयं देना पड़ेगा. एक आवेदक को अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछली पालन के लिए अनुदान मिलता है. इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 3.20 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा. लाभार्थियों का चयन मत्स्य निदेशालय द्वारा आवंटित लक्ष्य की सीमा तक किया जायेगा. 

कैसे करें आवेदन?

सभी पट्टाधारक, जिनके पट्टे की अवधि कम से कम 4 साल शेष है, इस योजना में 16 फरवरी तक विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.  नलाइन आवेदन के दौरान आवेदक को अपना फोटो, आधार कार्ड, पट्टा अभिलेख, स्वहस्ताक्षरित शपथ-पत्र, और बैंक खाता विवरण अपलोड करना आवश्यक होगा. इस योजना से संबंधित अन्य विस्तृत जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसे आवेदक देख सकते हैं. 

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