मुलायम सरकार में आया मदरसा एक्ट सेक्युलरिज्म के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता! तब क्यों बना था ये कानून?

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Mulayam Singh Yadav, Samajwadi Party
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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए उसे संवैधानिक करार दिया है.  चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्णय दिया कि हाईकोर्ट का निर्णय उचित नहीं था.  मार्च महीने में हाई कोर्ट ने इस अधिनियम को असंवैधानिक बताया था. हालांकि, अप्रैल महीने में शीर्ष अदालत ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे और राज्य सरकार शिक्षा मानकों को रेगुलेट करेगी. बता दें कि जिस उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया, वो मुलायम सिंह यादव सरकार में बना था. 

मुलायम सरकार में आया ये एक्ट

बता दें कि 2004 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान एक महत्वपूर्ण शिक्षा संबंधी कानून पारित किया गया जिसने राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक नया अध्याय खोला. इस कानून के चलते उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई. इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था. इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, जैसी शिक्षा को परिभाषित किया गया. अधिनियम का पहला मकसद मदरसों में एक संरचित और सुसंगत पाठ्यक्रम सुनिश्चित करना है, जिससे शैक्षिक गुणवत्ता और मानकों को बढ़ावा मिले. वहीं मदरसा बोर्ड में चेयरमैन से लेकर सदस्य तक सिर्फ एक ही धर्म विशेष मतलब मुसलमानों को रखा गया.  

इस मदरसा एक्ट में रजिस्टर्ड मदरसों को बुनियादी ढांचे, संसाधनों और शिक्षकों के वेतन में सुधार के लिए स्टेट फंडिंग और अनुदान का प्रावधान किया गया. 

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यूपी में 16 हजार से ज्यादा मदरसे

मानक पूरा करने वाले मदरसों को मदरसा बोर्ड मान्यता देता है.  बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशा-निर्देश प्रदान करता है. प्रदेश में इस समय मदरसों की कुल संख्या लगभग 23,500 हैं.  इनमें 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं.  यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं, इसके अलावा लगभग 8000 मदरसे ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 मदरसे ऐसे हैं, जो एडेड हैं. यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी पैसों से होता है.

हाईकोर्ट ने दिया था ये फैसला

गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए ही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने  फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि मदरसा बोर्ड संविधान के आर्टिकल 21 के भी खिलाफ है, जिसमें बच्चों को मुफ्त स्कूली शिक्षा अधिकार दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, 'मदरसा कानून 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है.'  अदालत ने ये भी कहा था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है. 

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वहीं सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिल गई है. यानी अब उत्तर प्रदेश के अंदर मदरसे चलते रहेंगे.  बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देना राज्य के दायरे में नहीं है. यह यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है. 

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