17 की उम्र में पहला अपराध और 61वें साल में मिल पाई सजा, क्या अतीक के हनक की उम्र हुई पूरी?

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17 की उम्र में पहला अपराध और 61वें साल में मिल पाई सजा, क्या अतीक के हनक की उम्र हुई पूरी?
17 की उम्र में पहला अपराध और 61वें साल में मिल पाई सजा, क्या अतीक के हनक की उम्र हुई पूरी?
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Atiq Ahmed News: प्रयागराज समेत पूरे पूर्वांचल में जिस शख्स के नजरभर देख लेने से लोगों की रीढ़ में सिहरन दौड़ पड़ती थी, उस अतीक अहमद को उम्र कैद का ऐलान हुआ है. उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को अतीक अहमद समेत तीन को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. अतीक अहमद के भाई अशरफ समेत 7 अन्य आरोपी बरी कर दिए गए. हालांकि इस सजा से न तो उमेश पाल के परिजन संतुष्ट हैं और न ही उन राजू पाल की पत्नी जिनके कत्ल का इल्जाम भी अतीक अहमद पर ही है.

बहरहाल, सवाल तो यह है कि अतीक अहमद को उम्र कैद तो हुई लेकिन क्या उसके हनक की उम्र भी पूरी हो गई? क्योंकि एक वो दौर था जब प्रयागराज इलाहाबाद हुआ करता था और अतीक अहमद के खौफ से इसका बच्चा-बच्चा परिचित हुआ करता था. यूनिवर्सिटी के छात्रों या हॉस्टलों की लड़ाई हो या तेजी से बढ़ते शहर में जमीन खरीदने-बेचने से उपजी अदावत, सबका निपटारा ‘अतीक की इजलास’ पर ही होता था. इस इजलास में सिर्फ एक ही कानून था, अतीक का कानून. लोगों के पास मानने के अलावा कोई चारा नहीं होता था.

हनक ही तो थी कि किशोर उम्र में किया पहला अपराध और सजा के योग्य पाया गया बुढ़ापे की दहलीज पर

देश की लोकसभा की आधिकारिक साइट पर अतीक अहमद के बारे में कुछ पुख्ता जानकारियां दी हुई हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अपने हनक के दौर में अतीक माननीय भी रह चुका है. फूलपुर से अतीक ने 2014 में सांसदी का चुनाव जीता था. लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक अतीक का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था. सांसद बनने से पहले अतीक अहमद पांच बार विधायक भी रह चुका है. इसके अलावा अतीक 1999 से 2003 तक अपना दल, यूपी का अध्यक्ष भी रह चुका है.

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आपको बता दें कि अतीक के पिता का नाम फिरोज अहमद था. लोकसभा की वेबसाइट उन्हें हाजी फिरोज अहमद बता रही है. हाजी यानी वह शख्स जो इस्लाम के सबसे पवित्र स्थान हज की यात्रा से लौटा हो. ऐसे में जब हाजी फिरोज अहमद के बेटे को देश की कोई अदालत उम्र कैद की सजा सुनाती है, तो यह भी अपने में सोचने लायक मामला होता है.

अतीक अहमद के पिता अपने परिवार को पालने के लिए तांगा चलाया करते थे. उनकी पहचान फिरोज तांगेवाले के रूप में थी. वह अपने बेटे अतीक अहमद को पढ़ा लिखा कर बड़ा और अच्छा इंसान बनाना चाहते थे, लेकिन अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगा. अतीक 10वीं में फेल हो गया और कहते हैं कि तभी उसकी संगत बिगड़ गई. कहा तो यह भी जाता है कि साल 1979 में महज सत्रह साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का पहला इल्जाम लगा था.

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अतीक पर 100 से अधिक मामले हैं, लेकिन सजा पहली बार तब मिली है जब उसकी उम्र 61 साल की हो चुकी है. अब देखना यह होगा कि यह सजा बाहुबली के हनक को खत्म कर पाती है या न्यायपालिका के लंबे गलियारों में मौजूद ज्यूडिशल रेमेडीज उसके लिए सहारा बनती हैं.

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