Lok Sabha Chunav 2024 : यूपी में दलित वोटर्स ने कर दिया बड़ा खेल! फायदे में अखिलेश और राहुल की जोड़ी

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UP Lok Sabha Chunav 2024 : एक जून को 7वें और आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद पूरे देश समेत उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. 4 जून को नतीजे आएंगे, जब वोटों की गिनती की जाएगी. लेकिन वोटों की गिनती से पहले एक जून को मतदान खत्म होते ही सभी पोल एजेंसियां और न्यूज चैनल एग्जिट पोल जारी कर देंगे. इस दौरान उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भी सभी की नजर बनी रहेगी. दरअसल इस बार उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस यानी विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन ने भाजपा को टक्कर देने का मजबूत दावा किया है. 

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर गठबंधन और भाजपा की बीच ही सियासी लड़ाई मानी जा रही है. अब ऐसे में सवाल ये है कि अगर बहुजन समाज पार्टी इस रेस में कही नहीं है तो उसके वोटर ने इस बार वोटिंग में क्या सियासी रुख अपनाया है?

यूपी मे किसकी तरफ दलित वोटर्स?

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर लोकनीति-सीएसडीएस के सह-निदेशक संजय कुमार ने बताया कि, 'जनवरी में जब राम मंदिर का उद्घाटन किया तो ऐसा लग रहा था कि यूपी में भाजपा आराम से 70 से ज्यादा सीटें ले जाएगी. पर जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया चुनाव बिलकुल अलग दिखने लगा. भाजपा अभी पहले वाली स्थिति में नहीं नजर आ रही है. मायावती ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की पर वो उसमें कामयाब होते नहीं दिख रही हैं. मायावती को कोर वोटर दलित भी उनसे कहीं ना कहीं दूर जाता दिखा है और इसका सीधा फायदा सपा-कांग्रेस गठबंधन को जाता दिखा है.अबका वोटर काफी जागरूक है और उसे पता है कि उसका वोट कहां खराब हो रहा है. इस चुनाव में मायावती के साथ कुछ ऐसी ही स्थिति देखी  जा सकती है.'

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सपा और भाजपा में किसे फायदा?

वहीं इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव का कहना है कि बसपा का वोटर इस बार काफी असमंजस में था. वह वोट तो बसपा को ही देना चाह रहा था. मगर वह खुलेआम ये कह नहीं पा रहा था. योगेंद्र यादव ने आगे बताया, मेरा मानना है कि बसपा का अधिकतर वोट उसके साथ ही रहा है. मगर काफी वोट भाजपा की तरफ भी गया है. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि बसपा के वोटर का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी की तरफ भी गया है.

उन्होंने आगे कहा कि, ये बड़ी बात है कि इस बार दलितों ने सपा को भी वोट दिया है. दलितों को या तो लगा होगा कि इस बार संविधान की बात है या हो सकता है कि इस बार अखिलेश यादव, राहुल गांधी के साथ थे. ऐसे में राहुल के साथ अखिलेश को देखकर दलित वोटर्स सपा को वोट देने के लिए तैयार हो गए. योगेंद्र यादव ने इस दौरान ये भी साफ कहा कि इस बार चुनाव में भाजपा का दलित वोटर भी खिसक है.

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