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न धनंजय न बृजेश…यूपी में चला सिर्फ राजा भैया का सिक्का, BJP की नैया पार नहीं लगा पाए ये दबंग

संतोष सिंह

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Raja Bhaiya, Dhananjay Singh
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UP News: उत्तर प्रदेश की सियासत में बाहुबल के दम पर हार जीत दिलाने वाले बाहुबली भी लोकसभा चुनाव में कोई करिश्मा नहीं कर पाए. भाजपा के लिए तो बाहुबलियों का साथ घाटे का ही सौदा साबित हुआ. वह फिर चाहे धनंजय सिंह का साथ हो या अभय सिंह का साथ हो. यहां तक की राज्यसभा चुनाव में मन की आवाज सुनकर बीजेपी के लिए वोट करने वाले राजा भैया भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बजाय समाजवादी पार्टी के लिए ही लाभदायक साबित हुए.

राजा भैया को छोड़कर कोई भी बाहुबली इस चुनाव में अपना असर नहीं डाल पाया. दूसरी तरफ बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह को छोड़कर कोई भी बाहुबली भाजपा की झोली में जीत नहीं डाल सका. 

धनंजय सिंह,अभय सिंह, बृजेश सिंह, राजा भैया पर रहती है सभी की नजर

दरअसल हर चुनाव में धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, राजा भैया, बृज भूषण शरण सिंह पर हर किसी की नजर रहती है. माना जाता है कि ये सभी उत्तर प्रदेश के हर चुनाव में हार और जीत तय करते हैं. बृजेश सिंह, बृज भूषण शरण सिंह तो पहले से ही भाजपा के खेमे में थे. मगर इस बार इनका जादू नहीं चल पाया. 

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राकेश प्रताप सिंह, राकेश पांडे भी भाजपा और राम मंदिर के लिए बयानबाजी करने लगे और भाजपा के करीबी बन गए. दूसरी तरफ जौनपुर में आखिर में धनंजय सिंह ने भी भाजपा को ही अपना समर्थन दे दिया. लेकिन लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, कोई करिश्मा नहीं कर पाए.  धनंजय सिंह के प्रभाव वाली जौनपुर और मछलीशहर लोक सभा सीट बीजेपी हार गई. तो वहीं अभय सिंह के प्रभाव वाली फैजाबाद और अंबेडकरनगर लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यहां तक की बृजेश सिंह के प्रभाव वाली चंदौली लोकसभा सीट से तो खुद केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे चुनाव हार गए.

राजा भैया का चला सिक्का

राजा भैया के साथ राज्यसभा में हुई भाजपा की दोस्ती, लोकसभा चुनाव आते-आते खत्म हो गई. राजा भैया ने वैसे तो खुलकर किसी भी दल का समर्थन नहीं किया. मगर उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने खुलेआम सपा को चुनाव लड़ाया. इसका असर ये रहा कि प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट पर राजा भैया का सिक्का चला और भाजपा ने ये दोनों ही सीट गंवा दी.

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सिर्फ बृजभूषण शरण सिंह ने बचाया अपना किला 

बृजभूषण शरण सिंह अकेले ऐसे बाहुबली नेता रहे जो अपने किले को बचा पाए. मगर यहां भी उनको कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. भाजपा ने विवादों के चलते कैसरगंज लोकसभा सीट पर बृजभूषण के बजाय उनके बेटे करण भूषण को टिकट दिया. करण भूषण चुनाव तो जीते लेकिन बृज भूषण शरण सिंह की जीत के बराबर वोट मार्जिन हासिल नहीं कर पाए. इसका मतलब साफ है कि करण भूषण के लिए भी आगे का रास्ता आसान नहीं है. 

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