चंद्रशेखर की दावेदारी से दिलचस्प हुआ नगीना का चुनाव, बसपा के लिए नाक की लड़ाई बनी ये सीट

कुमार अभिषेक

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Nagina Lok Sabha Seat : उत्तर प्रदेश नगीना लोकसभा सीट इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. इसकी वजह है चार साल पहले बनी आजाद समाज पार्टी, जिसके अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद इस सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर  सपा-बसपा और भाजपा के प्रत्याशियों ने भी अपना पूरा जोर लगाया हुआ है. नगीना लोकसभा सुरक्षित सीट है, जो मायावती के लिए नाक की लड़ाई बन गई है. 

कभी मायावती ने यहां से लड़ा था चुनाव

बता दें कि नगीना लोकसभा 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह सीट 2009 लोकसभा चुनाव से पहले ही अस्तित्व में आई थी. नगीना, कभी बिजनौर का ही हिस्सा हुआ करता था और यहीं से मायावती ने अपना पहला चुनाव लड़ा और जीता था. अब यहीं ये मायवाती की तरह ही जीत दोहराने के लिए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण बेताब दिख रहे हैं.

दिसचस्प है नगीना की लड़ाई

नगीना में इस वक्त सबसे ज्यादा अगर किसी उम्मीदवार की चर्चा है तो वह है चंद्रशेखर आजाद. पहली बार चंद्रशेखर आजाद रावण इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और वह भी अकेले यानी किसी पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन नहीं दिया है. वह अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं और जिसका चुनाव चिन्ह केतली है. इस सीट पर भाजपा ने तीन बार के विधायक ओम कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने मनोज कुमार (पूर्व जज) को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि बीएसपी सुरेंद्र मैनवाल को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.

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चंद्रशेखर के सामने चुनौती

नगीना लोकसभा में चुनाव प्रचार अभी शुरुआती दौर है और यहां हर कोई इसी बात की चर्चा कर रहा है कि क्या मुकाबले में चंद्रशेखर रावण चुनाव जीत पाएंगे? चंद्रशेखर आजाद को भी मालूम है कि उनके लिए बीएसपी के कैडर को तोड़ना आसान नहीं है. बीएसपी का कैडर भी गांव-गांव गहरी पैठ रखता है. लेकिन पिछले 1 साल से लगातार मेहनत कर रहे चंद्रशेखर आजाद ने हर गांव में अपने कार्यकर्ता और समर्थक खड़े कर लिए हैं. लेकिन यहां चुनाव जीतने के लिए चंद्रशेखर को लगभग एक तरफा दलित और मुस्लिम वोटों की जरूरत होगी.


वहीं नगीना लोकसभा में चंद्रशेखर आजद का प्रचार कर रहे समर्थकों का कहना है कि, 'वह बहन जी यानी मायावती को तो नेता मानते हैं लेकिन उनका कहना है यह भी है कि बहन जी 79 सीट लड़े लेकिन एक सीट, चंद्रशेखर के लिए छोड़ दें. नगीना का दलित यहां से चंद्रशेखर को संसद भेजना चाहाता है.'

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नगीना में चंद्रशेखर के चुनाव प्रचार पर नजर डाले तो वो दलितों के अलावा दूसरी बिरादरियों में खासकर ओबीसी बिरादरियों में छोटी-छोटी मीटिंग्स और सभाएं कर रहे हैं. चंद्रशेखर अपनी मीटिंग में सभी को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मिशन की याद दिलाते हैं और कहते हैं कि अगर दलित और दबे कुचले लोगों की आवाज संसद में नहीं उठाई गई तो संविधान खत्म हो जाएगा. अगर यहां के लोग उन्हें संसद में जीताकर भेजेंगे तो वह दिखाएंगे कि कैसे उनके हक की आवाज संसद के भीतर गूंज सकती है.

चौंकाने वाला किया है दावा

वहीं यूपी तक से बात करते हुए  चंद्रशेखर आजाद ने एक चौंकाने वाला दावा किया था. उन्होंने कहा था कि, 'वह बहन जी के ही उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं और बहन की परोक्ष तरीके से पीछे से उन्हें समर्थन भी कर रही हैं.'  इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई कि आखिर क्यों उनके सामने बसपा ने एक कमजोर कैंडिडेट उतारा है. चंद्रशेखर ने कहा कि, ' दरअसल बहन जी चाहती हैं की वह जीत जाए क्योंकि उनके बाद एक दलित नेतृत्व इस देश को मिलेगा.'

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आकाश आनंद ने भी कसी कमर

उधर मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को चुनाव प्रचार में लॉन्च करने के लिए नगीना को ही चुना. नगीना  चुनाव प्रचार में आकाश आनंद ने सबसे ज्यादा चंद्रशेखर आजाद को ही अपने निशाने पर लिया. आकाश आनंद ने मंच से चंद्रशेखर का बगैर नाम लिए बोलते हुए कहा कि, 'यह लोग युवाओं को भड़काते हैं  और जब इनके ऊपर मुकदमे होते हैं तब यह इन्हें बीच मझधार में छोड़ देते हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.' वहीं आकाश आनंद के चुनाव प्रचार में उतरने से ही बीएसपी समर्थकों में भी जोश भर गया है. वहीं अब नगीना की लड़ाई BSP और आज़ाद समाज पार्टी के बीच नाक की लड़ाई बन गई है.
 

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