Modi 3.0 Cabinet : सपा के PDA के जवाब में मोदी कैबिनेट ने यूपी में साधा जातीय संतुलन, अभी से 2027 की तैयारी!

गौरांशी श्रीवास्तव

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 Modi 3.0 Cabinet
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Modi 3.0 Cabinet : पीएम नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में रविवार को केन्द्र में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)  की तीसरी बार सरकार बनी. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कोई खास प्रदर्शन न होने के बावजूद भी सूबे के कई चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया है. पीएम मोदी की नई कैबिनेट में नई सोशल इंजीनियरिंग का काफी ध्यान रखा गया है. मोदी कैबिनेट में सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है. 

सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान

मोदी कैबिनेट 3.0 में यूपी के कई लोगों ने केन्द्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें दलित, ओबीसी, क्षत्रिय, जाट और ब्राह्मण चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देकर जातियों का एक पूरा गुलदस्ता सजाने की कोशिश की गई है ताकि किसी भी वर्ग में कोई नाराज़गी न रह पाए. चाहे अवध हो या पूर्वांचल, चाहे पश्चिमी यूपी हो या रुहेलखंड..किसी भी इलाके को छोड़ा नहीं गया है. सीधे और साफ शब्दों में कहा जाए तो हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है.जयंत चौधरी से लेकर अनुप्रिया पटेल तक. सबके ज़रिए कोई न कोई कोशिश आपको नजर आ ही जाएगी..

 हर क्षेत्र और हर वर्ग का रखा गया ध्यान

सबसे पहले बात राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन सिंह की, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. कहा जा रहा है कि यूपी में क्षत्रिय समुदाय के वोटों पर पकड़ बनाए रखने के लिए मोदी सरकार ने अवध क्षेत्र से राजनाथ सिंह और कीर्तिवर्धन सिंह को जगह दी. राजनाथ सिंह तीसरी बार मोदी सरकार में मंत्री बने हैं तो वहीं कीर्तिवर्धन सिंह को भी इस बार मौका दिया गया है. वहीं बीजेपी ने ओबीसी चेहरे बीएल वर्मा जो कि ब्रज क्षेत्र से आते हैं, उन्हें भी सरकार में मंत्री पद दिया है. बीएल वर्मा लोध जाति से आते हैं और ये दूसरी बार है जब उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पदभार सौंपा गया है.

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पहली बार इन्हें मिली जगह

अब बात अगले चेहरे पंकज चौधरी की जिन्हें एक बार फिर से मंत्री बनाया गया है जो कि महाराजगंज सीट से चुनाव जीत कर आए हैं. पंकज चौधरी कुर्मी जाति से आते हैं. यानि कि मोदी कैबिनेट के बारे में पूरा ध्यान एक एक क्षेत्र, एक एक जाति और एक एक चेहरे का रखने की कोशिश की गई है. वहीं अगर आप बांसगांव की बात करें तो यहां से चुनाव जीते कमलेश पासवान को भी केन्द्र में जगह दी गई है. कमलेश पासवान, पासवान जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और पहली बार मोदी सरकार में मंत्री बने हैं.

इसी के साथ अगर, आगरा की कर लें तो यहां से जीतकर आए एसपी सिंह बघेल जो कि दलित जाति से आते हैं. वहीं मिर्ज़ापुर से चुनाव जीतकर आईं अनुप्रिया पटेल को एक बार फिर से मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. वो पहले भी मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. ब्रज क्षेत्र के आगरा रिजर्व सीट से चुनाव जीते एसपी सिंह बघेल को भी मंत्री बनाया गया है. वो धनगर जाति से हैं. ये दोनों ही ऐसे चेहरे हैं जो दलित समुदाय से आते हैं.

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अभी से 2027 की तैयारी!

यूपी में भले ही विधानसभा चुनाव 2027 में होने हों लेकिन अभी से ही बीजेपी ने कमर कसनी शुरू कर दी है जिसकी बानगी मोदी कैबिनेट में भी नज़र आ रही है. पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को दिया गया था और उन्होनें भी बीजेपी के भरोसे पर खरा उतरते हुए चुनाव जीतकर एनडीए की झोली में ये सीट डाल दी. अजय मिश्र टेनी, महेन्द्र नाथ पांडेय जैसे चेहरों के चुनाव हारने के बाद जितिन प्रसाद एक बड़े ब्राह्मण चेहरे माने जा रहे हैं.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में बीजेपी को इस बार महज़ 33 सीटें ही मिली हैं जबकि एनडीए को कुल 36 जो कि अकेले सपा की 37 सीटों से भी कम हैं. लेकिन फिर भी मोदी कैबिनेट को अगर देखें तो ये साफ होता है कि किसी भी सूरत में उत्तर प्रदेश को, यहां के जातीय समीकरणों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. अब देखना होगा कि बीजेपी ने जो 2027 के विधानसभा चुनाव को साधने के लिए अभी से ही कोशिशें शुरु कर दी हैं, उसका कितना फायदा तब जाकर मिलता है. ताकि जो लोकसभा में हुआ वो विधानसभा में किसी भी कीमत पर न दोहराया जाए.

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