अमेठी में स्मृति ईरानी का नामांकन आज, राहुल के लिए मुश्किलें 2019 की तरह बरकरार, समझिए कैसे
अमेठी लोकसभा सीट से स्मृति ईरानी आज अपना नामांकन करने जा रही हैं. ऐसी चर्चाएं हैं कि आज कांग्रेस भी राहुल गांधी को अमेठी से प्रत्याशी धोषित कर सकती है. माना जा रहा है कि अगर राहुल यहां से फिर चुनाव लड़ते हैं, तो उनके लिए 2019 की तरह की मुश्किलें बरकरार हैं.
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Smriti Irani And Rahul Gandhi: उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर सभी की नजर बनी हुई है. दरअसल आज केंद्रीय मंत्री और अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी, एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अमेठी से नामांकन भर रही हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक अमेठी से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है. चर्चाएं हैं कि राहुल गांधी साल 2019 में मिली हार को भुलाकर अमेठी से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं. दरअसल अमेठी की सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही है.
साल 2004 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने पहली बार अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में राहुल को बड़ी जीत हासिल हुई थी. फिर साल 2009 के आम चुनावों में भी राहुल गांधी अमेठी से ही खड़े हुए थे और जीत हासिल की थी. राहुल की जीत का ये सिलसिला 2014 लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रहा. मगर साल 2019 में अमेठी में बड़ा उलटफेर हुआ और राहुल को भाजपा की स्मृति ईरानी ने हरा दिया.
2014 से ही अमेठी में राहुल के लिए चुनौती बनी हुई हैं स्मृति ईरानी
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट से भाजपा ने राहुल गांधी के सामने स्मृति ईरानी को उतार दिया था. भाजपा के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया था. उम्मीदवारी के ऐलान के बाद स्मृति ईरानी ने अमेठी में एंट्री ली. उस समय शायद ही किसी को उम्मीद रही होगी कि स्मृति ईरानी यहां से भारत की राजनीति के सबसे बड़े उलटफेरों में से एक को करने वाली हैं.
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उस दौरान स्मृति ईरानी की रणनीति ने कांग्रेस के खेमे में भी हड़कंप मचा दिया था. जिस सीट पर कभी राहुल गांधी को एकतरफा बढ़त मिलती थी, वह सीट कांग्रेस को फंसती हुई दिख रही थी. साल 2014 लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल-स्मृति ईरानी में कड़ा मुकाबला हुआ. मगर चुनावों में राहुल गांधी को ही जीत मिली. मगर ये वो जीत नहीं थी जो राहुल गांधी को अमेठी से मिलती रही थी.
दरअसल साल 2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में 46.71 प्रतिशत वोट मिले. दूसरी तरफ भाजपा की स्मृति ईऱानी ने भी अपने पहले ही चुनाव में राहुल के सामने 34.38 प्रतिशत वोट हासिल कर लिए. चुनाव में जहां राहुल गांधी को 4,01,651 वोट मिले, तो वहीं स्मृति ईरानी को 3,00,748 वोट पाने में कामयाब रही. स्मृति ने आते ही अमेठी में कांग्रेस के वोट बैंक में बड़े स्तर पर सेंधमारी कर दी थी.
फिर 2019 में हो गया बहुत बड़ा उलटफेर
2014 में मिली हार के बाद भी स्मृति ईरानी ने अमेठी नहीं छोड़ा और वह लगातार अमेठी में एक्टिव रही. माना जाता है कि 5 सालों के दौरान स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में अपनी पकड़ मजबूत करती गईं और वहां उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवा दी. दूसरी तरफ राहुल गांधी पर आरोप लगते रहे कि सांसद होने के बाद भी वह अमेठी को समय नहीं दे पाए और वहां से ज्यादा संपर्क नहीं बना पाए.
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स्मृति ईरानी की अमेठी में की गई मेहनत को देखते हुए भाजपा ने साल 2019 लोकसभा चुनावों में भी अमेठी सीट से स्मृति ईरानी को खड़ा किया. माना जाता है कि कांग्रेस पहली बार अमेठी में राहुल गांधी की जीत को लेकर सुनिश्चित नहीं थी. ऐसे में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. आखिरकार कांग्रेस का अंदाजा सही रहा. स्मृति ईरानी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राहुल गांधी को अमेठी में हरा दिया. इसी के साथ स्मृति ईरानी का वोट प्रतिशत भी अमेठी में काफी बढ़ा और राहुल गांधी का वोट प्रतिशत पहले से कम हुआ.
2019 में कैसा रहा चुनावी रिजल्ट
इस दौरान स्मृति ईरानी को 49.92 प्रतिशत वोट मिले. तो वही राहुल गांधी का वोट प्रतिशत कम होकर 44.05 प्रतिशत पर आ गया. स्मृति ईरानी को 468,514 वोट मिले तो वही राहुल गांधी को सिर्फ 413,394 वोट ही मिल पाए.
स्मृति ईरानी ने बनाई अमेठी में गहरी पैठ
पिछले 5 सालों में स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपनी जड़ों को और मजबूत कर लिया है. केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में एक्टिव रही और वहां काम करती रही. दूसरी तरफ अमेठी में हार जाने के बाद राहुल गांधी को कुछ ही बार अमेठी में देखा गया. हाल ही में स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना घर भी बना लिया है.
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माना जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस राहुल गांधी को अमेठी में खड़ा करने पर काफी सोच-विचार कर रही है और फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. माना जा रहा है इसी वजह से कांग्रेस अभी तक राहुल के अमेठी से चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं कर पाई है. माना जा रहा है कि अगर राहुल अमेठी से खड़े भी होते हैं, तो उन्हें स्मृति ईरानी का मुकाबला करना होगा, जो पहले से काफी मजबूत हैं. राहुल के लिए अमेठी में 2019 से भी ज्यादा मुश्किलें पैदा हो गई हैं.
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