जिस गर्भगृह में विराजमान हैं रामलला क्या वहां छत से पानी टपका? ट्रस्ट ने 8 पॉइंट में दिया जवाब

समर्थ श्रीवास्तव

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Ayodhya, Ram Temple
Ram Mandir
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राम मंदिर की छत से कथित तौर पर बारिश के पानी के टपकने के मामले ने पकड़ी तूल

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का रिएक्शन आया सामने

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चंपत राय ने इन 8 बिन्दुओं में सामने रखी अपनी बात

Ayodhya Ram Temple News: अयोध्या में जनवरी 2024 में बने राम मंदिर की छत से कथित तौर पर बारिश के पानी के टपकने के मामले ने तूल पकड़ रखी है. विपक्ष ने मंदिर निर्माण में घोटाले का आरोप लगा दिया है. वहीं राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारी ऐसी किसी गड़बड़ी की आशंका से इनकार कर रहे हैं. पिछले दिनों श्री राम जन्भूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कहा था कि बिजली के पाइप के जरिए ही बारिश का पानी नीचे आया है. अब इस मामले में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का बयान सामने आया है. 

चंपत राय ने सिलसिलेवार बताया है कि आखिर पानी टपकने के दावे में उनका पक्ष क्या है. यहां नीचे आप उनके बयान को 8 बिंदुओं में देख सकते हैं. 

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के तथ्य.

1. गर्भगृह जहां भगवान रामलला विराजमान हैं, वहां एक भी बूंद पानी छत से नही टपका है और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है. 

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2. गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है. वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात ( भूतल से लगभग ६० फीट ऊंचा ) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी. इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढंक कर दर्शन कराये जा रहे हैं. द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है. 

3. रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ( उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) ऊपरी तलों पर जाने की सीढि़यां हैं, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी. वह कार्य भी प्रगति पर है. 

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4. सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है. ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाई जाती है. चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश किया. वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा. ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है. जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा. प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा, फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा. 

5. मन्दिर एव परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है जिसका कार्य भी प्रगति पर है. अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी . पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है. 

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6. मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य और मन्दिर परिसर निर्माण/विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है. 

7. उत्तर भारत में (लोहा का उपयोग किए बिना ) केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य ( उत्तर भारतीय नागर शैली में ) प्रथम बार हो रहा है. देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं. भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है,  जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है. 

8. प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं. प्रातः 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है. किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश , पैदल चलकर दर्शन करना , बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है, मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है. मोबाइल का प्रयोग दर्शन में बाधक है , सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है. 

निवेदक: चम्पत राय ( महामन्त्री श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ) दिनांक 26 जून, 2024.

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