कानपुर के शिवांशु अवस्थी ने पत्नी को पढ़ाकर बनाया सरकारी टीचर, नौकरी मिलते ही बदल गई मीनाक्षी

रंजय सिंह

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Kanpur News : कविताओं में अक्सर मोहब्बत को ऐसी भावना के रूप दिखाया जाता है जहां ना जाति का भेदभाव होता था, ना अमीरी-गरीबी की सीमाएं, और ना धर्म के बंधन. लेकिन बदलते वक्त के साथ यह आदर्श भी बदल गए हैं. डिजिटल युग में हर चीज की तरह मोहब्बत भी नए पैमानों से तय होने लगी है. उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. कपल को  एक क्लास में संग-संग पढ़ते हुए दोनों में प्यार हो गया और दोनों ने शादी कर ली. दो बेटे हो गए. पति ने पत्नी को बीएड की पढ़ाई करवाई. सात साल बाद पत्नी को सरकारी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी मिल गई तो उसने पति को ही छोड़ दिया.  पति ने जब भी मिलने की कोशिश की, बेरोजगारी का ताना देकर उसे भगा दिया.

कॉलेज में हुई मोहब्बत फिर शादी

कानपुर के यशोदा नगर के रहने वाले शिवांशु अवस्थी और मीनाक्षी शुक्ला की कहानी इन दिनों चर्चा में बनी हुई है. शिवांशु और मीनाक्षी ने कानपुर यूनिवर्सिटी से बी.फार्मा की पढ़ाई के दौरान एक-दूसरे से मोहब्बत की. इस प्यार को 2008 में शादी का रूप दिया गया और उनके दो बच्चे हुए. गड़ती आर्थिक स्थिति के बावजूद पति ने पत्नी को B.ed की पढ़ाई कराई. B.ed करने बाद पत्नी अपने छोटे बेटे को लेकर पति से अलग हो गई. वहीं, 2015 में पत्नी में सरकारी शिक्षक के पद पर नौकरी लग गई.  शुरुआत में सब कुछ सही चलता रहा लेकिन बाद में सब बदल गया.

सरकारी नौकरी लगते ही बदली मिनाक्षी

मीनाक्षी सरकारी टीचर बन गई, लेकिन सरकारी नौकरी क्या मिली, उनके रिश्ते में दरारें आने लगीं.  मीनाक्षी ने शिवांशु के स्टेटस को अपनी कमजोरी मानते हुए उनसे दूर रहना शुरू कर दिया. एक बच्चा साथ लेकर अलग ज़िले में रहने लगी और घर छोड़ने का बहाना मां की बीमारियों को बनाया. शिवांशु ने अपने प्यार को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मीनाक्षी ने उनके खिलाफ दहेज एक्ट का मुकदमा भी दर्ज करा दिया. अंततः शिवांशु ने तलाक का मुकदमा दायर किया और अदालत ने एकतरफा तलाक दे दिया. 

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शिवांशु का कहना है कि, उसने सच्चे दिल से मीनाक्षी से मोहब्बत की थी. उसने मीनाक्षी के लिए अपने सपनों की कुर्बानी देकर उसे पढ़ाया और टीचर बनाया, लेकिन मीनाक्षी को अब वह अपने स्टेटस के लायक नहीं लगते. इस स्थिति में शिवांशु ने तलाक लेना ही बेहतर समझा.  
 

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