मुख्तार अंसारी की 'फातिहा' में शामिल होने के लिए जेल से निकलेंगे अब्बास, क्या होती है ये?

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मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अब्बास को पिता के कब्र पर फातिहा पढ़ने की इजाजत दे दी है. ऐसे में अब्बास को चार दिनों के तक रिहा करने का आदेश दिया है. बता दें कि मुख्तार की सुपुर्द ए खाक के दौरान अब्बास को पिता से मिलने की इजाजत नहीं मिली थी. 

क्या होती है फातिहा?

इस्लाम धर्म में जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है, उनकी कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ा जाता है. फातिहा का महत्व इस्लाम में बहुत ज्यादा है. परिजन या सगे संबंधी, मृतक की कब्र पर जाते हैं और उसके लिए फातिहा पढ़ते हैं. परिजन कब्र पर जाकर दरूद शरीफ पढ़ते हैं, जिससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. इस्लाम में मान्यता है कि फातिहा पढ़ने से मृतक के गुनाह भी माफ हो जाते हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब्बास अंसारी को कासगंज जेल से गाजीपुर पुलिस की कस्टडी में ले जाया जाएगा. इस दौरान पुलिस, जेल अथॉरिटी के साथ संपर्क में रहेंगे. बता दें कि अब्बास 10 अप्रैल को मुख्तार की कब्र पर फातिहा पढ़ने जाएगा. वहीं उसे 11 और 12 अप्रैल को परिवार के लोगों से भी मिलने की इज़ाजत दी गई है. अब्बास अंसारी को तीन दिनों की अंतरिम जमानत मिली है. वहीं जमानत के दौरान अब्बास अंसारी के मीडिया से बात करने पर भी रोक लगी है. 

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वहीं मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने अदालत में कहा कि अब्बास हिस्ट्रीशीटर है, उसके खिलाफ 11 मामले गंभीर अपराध में दर्ज है. सरकार के ये भी कहा कि अब्बास अंसारी जेल से बाहर आकर गवाहों को प्रभावित और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में अब्बास अंसारी के वकील की तरफ से कहा गया कि 4 दिन का अंतरिम जमानत दी जाए ताकि वह अपनी पिता कब्र पर फातिहा पढ़ सके.  


यूपी सरकार ने कहा 

अब्बास की अंतरिम जमानत पर बात करते हुए यूपी सरकार ने कहा कि 'अब्बास जेल से गवाहों को धमकी दे रहा है. इसलिए उसका ट्रांसफर चित्रकूट से कासगंज जेल में किया गया है.'
 

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