वाराणसी में संत रविदास की मूर्ति का अनावरण करेंगे पीएम मोदी, जानें क्या हैं इसके सियासी मायने

कुमार अभिषेक

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PM Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे, जहां वह आज यानी शुक्रवार को कई विकास परियोजनाओं की शुरूआत करेंगे. बता दें कि पीएम मोदी अपने बनारस दौर पर रविदास मंदिर भी जाएंगे. यहां पीएम मोदी रविदास संप्रदाय को मानने वाले करीब 40 हजार लोगों को संबोधित करेंगे. उससे पहले वह संत रविदास के मंदिर में मत्था टेकेंगे और लंगर छकेंगे. इसके बाद मंदिर के पास एक बड़े मैदान में 25 फीट की भगवान रविदास की मूर्ति का अनावरण करेंगे.

भगवान रविदास को रैदास संप्रदाय अपना इष्ट, अपना भगवान मानता है. उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी बिरादरी जाटव, भगवान के तौर पर संत रविदास की पूजा करती है. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के जो दलित सिख हैं, वे भी रविदास को अपना इष्ट मानते हैं. संत रविदास को मानने वालों की तादाद देश में करोड़ों में है. यूं तो सभी बिरादरियों में भगवान रविदास को मानने वालों की संख्या है, लेकिन दलितों और इसके अलावा दुनिया भर में फैले हुए सिखों में भी खासकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रविदास संप्रदाय के लोग बसे हैं. हजारों लोग हर साल रविदास जयंती पर वाराणसी आते हैं.

 

 

बता दें कि संत रविदास मध्यकाल के सबसे बड़े भक्ति कवियों में शुमार किए जाते हैं. इनके कई रचे हुए दोहों को सिख गुरुओं ने अपने ग्रंथों में स्थान दिया है. कृष्ण की मीरा भी संत रविदास को अपना गुरु मानती रही हैं. ऐसे में भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका बड़ी अहम मानी गई है.

जाति-पाति तोड़ने और भक्ति के मार्ग पर सभी जातियों को जोड़ने वाले कवि के तौर पर संत रविदास को जाना जाता है, जिनके अनुयाई इस वक्त दुनिया भर में फैले हैं. माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जयंती मनाई जाती है और इस दिन दुनिया भर से संत रविदास के अनुयाई वाराणसी पहुंचते हैं. दलित संत के तौर पर भी रविदास को माना जाता है और बहुजन बस्तियों में संत रविदास की मूर्ति दिखाई देती है.

 

 

प्रधानमंत्री का अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में संत रविदास की 25 फीट की मूर्ति का अनावरण, मंदिर में जाकर मत्था टेकने और लंगर छकने के सियासी निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की संत रविदास मंदिर की यह यात्रा पंजाब और हरियाणा के किसानों को संदेश देने के लिए भी है, जहां इस वक्त बड़ी तादाद में सिख किसान पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर जमे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री अपने संबोधन में कुछ ऐलान भी कर सकते हैं।

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